हिमाचल

महीने से बंद पड़ी लारजी परियोजना को लेकर मुख्यमंत्री के पत्र ने एनएचएआई को घेरा

नेशनल हाइवे अथारिटी आफ इंडिया एनएचएआई इन दिनों हिमाचल में हुए नुकसान को लेकर पहले से ही निशाने पर है मगर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नए दाव ने एक और झटका इसे दे दिया है। मंडी जिले में ब्यास नदी पर लारजी जल विद्युत परियोजना निर्मित है जो मंडी से 30 से 40 किलोमीटर के बीच में कुल्लू की ओर औट व थलौट कस्बों के बीच ब्यास नदी पर निर्मित है।

 

126 मैगावाट की इस परियोजना में पिछले 9 जुलाई से उत्पादन ठप है। प्रदेश में बरसात के दिनों में सभी जल विद्युत परियोजनाएं कमाउ पूत बन जाती हैं क्योंकि इन दिनों नदियों में भरपूर पानी होता है और परियोजना प्रबंधक इस ताक में रहते हैं तीन चार महीनों में क्षमता से अधिक बिजली का दोहन कर लिया जाए और पूरे साल की कमी पूरी कर ली जाए। आम तौर पर सर्दियों की शुरूआत में ही नदियों का पानी सूखने लगता है और फिर अगले साल बर्फ के पिघलने का इंतजार करना पड़ता है।

 

 

बरसात में पूरे साल की कमी पूरी कर ली जाती है। एक महीने से लारजी में उत्पादन ठप है, सरकार को रोजाना करोड़ों का नुकसान हो रहा है और इस परियोजना का इतना अधिक नुकसान हो चुका है कि इसके दिसंबर महीने तक ही चालू हो पाने की संभावना है। मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस परियोजना के नुकसान के लिए एनएचएआई को जिम्मेवार ठहरा दिया है। हालांकि पहली अगस्त को जब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी हिमाचल आए थे और पूरा दिन मुख्यमंत्री भी उनके साथ रहे तो बेतहाशा  नुकसान की चर्चा तो मीडिया से बातचीत में उन्होंने की मगर लारजी परियोजना के नुकसान को लेकर कोई विशेष व सटीक आंकड़े नहीं दिए।

 

 

अब फील्ड रिपोर्ट को आधार बनाकर मुख्यमंत्री ने कहा है कि लारजी पावर हाउस का नुकसान इसके साथ बनाई गई डब्बल डैक्कर फोरलेन मुख्य कारण है। इस डब्बल डैक्कर फोरलेन के कारण पावर हाउस के पास ब्यास नदी तंग हो गई हो गई और इससे यहां पर जल स्तर सामान्य से कई कई मीटर उपर चला गया। यही पानी लारजी पावर हाउस के अंदर घुस गया व इससे पावर हाउस तबाह हो गया। इसमें लगभग 660 करोड़ का नुकसान हो गया।

 

 

मुख्यमंत्री ने इसकी भरपाई करने की मांग उठाई है। यह भी हवाला दिया है कि प्रदेश सरकार ने जब यह फोरलेन बन रही थी तब भी इसे लेकर आपत्ति की थी मगर उनकी आपत्ति को नजरअंदाज कर दिया गया। अब यहां पर जो डब्बल डैक्कर फोरलेन बना है यही इस नुकसान का कारण है। प्रदेश सरकार के इस आरोप में इस कारण से भी दम है क्योंकि प्रदेश के लोग एनएचएआई की मनमानी के खिलाफ लगातार चीख चिल्ला रहे हैं मगर कोई नहीं सुनता।

 

अब तो सरकार ने स्वयं माना है कि उनका प्रोजेक्ट एनएचएआई के गलत निर्माण के कारण ठप हुआ है और उनकी सुनी भी नहीं गई। ऐसे में इस मामले को लेकर प्रदेश व केंद्र सरकार की बीच टकराव भी आ सकता है। सवाल यह भी है कि यहां पर पूरी तरह से तैयार होकर वाहनों के लिए खोल दिए गए इस फोरलेन जिसने ब्यास नदी का दायरा तंग करके तबाही लाई है को दोबारा से निर्मित किया जाएगा कि एनएचएआई की मनमानी से यह खतरा इसी तरह से बरकरार रहता है। आने वाले दिनों में इसे लेकर काफी कुछ देखने को मिल सकता है।

 

Kritika

Recent Posts

ध्रोबिया में सड़क निर्माण से खुशी की लहर, पूर्व विधायक काकू ने दिया विकास का संदेश

Dhrobia village Development: कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र के चंगर क्षेत्र में विकास की एक नई कहानी…

8 hours ago

पर्यटन निगम को राहत: 31 मार्च तक खुले रहेंगे 9 होटल, हाईकोर्ट का फैसला

High Court decision Himachal hotels: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से राज्य सरकार और पर्यटन विकास निगम…

9 hours ago

एनसीसी दिवस: धर्मशाला कॉलेज में 75 यूनिट रक्तदान, नशा मुक्ति का संदेश

NCC Day Dharamshala College: धर्मशाला स्थित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय (जीपीजीसी) में एनसीसी दिवस के उपलक्ष्य…

9 hours ago

शनिवार से कुंजम दर्रा यातायात के लिए पूरी तरह बंद , नोटिफिकेशन जारी

Kunzum Pass closed: हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले को जोड़ने वाला कुंजम दर्रा…

9 hours ago

महाराष्ट्र-झारखंड नतीजों के बीच शिमला में राहुल और सोनिया गांधी

Rahul Gandhi in Shimla: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्र में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी…

10 hours ago

मां का खौफनाक कदम: दो बच्चों की हत्या कर खुदकुशी करनी चाही पर नहीं आई मौत

Mother murders children in Noida: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के बादलपुर थाना क्षेत्र…

10 hours ago