➤ करुणामूल्क आश्रितों ने सचिवालय पहुंचकर फिर लगाई नौकरी की गुहार
➤ चार दिवसीय कैबिनेट बैठक में एजेंडा लाने की मांग उठी
➤ करीब 3000 आश्रित अब भी रोजगार से वंचित, आंदोलन की चेतावनी
हिमाचल प्रदेश में लंबे समय से सरकारी नौकरी की उम्मीद लगाए बैठे करुणामूल्क आश्रितों ने एक बार फिर सरकार से नीति निर्माण और रोजगार की गुहार लगाई है। सोमवार को सचिवालय में शुरू हुई चार दिवसीय कैबिनेट बैठक के पहले दिन करुणामूल्क आश्रितों का प्रतिनिधिमंडल सचिवालय पहुंचा और सरकार से आग्रह किया कि इस बैठक में उनके मुद्दे को एजेंडे में शामिल किया जाए।
प्रदेश भर में लगभग 3200 करुणामूल्क आश्रित हैं, जिनमें से कुछ को ही चतुर्थ श्रेणी में रोजगार मिला है। बाकी करीब 3000 आश्रित आज भी सरकार की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं। कई बार उन्होंने प्रदर्शन और संघर्ष का रास्ता अपनाया, लेकिन अब तक उनके लिए कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई।
रविवार को करुणामूल्क आश्रितों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपमुख्यमंत्री से नगरोटा में मुलाकात कर अपनी मांगों को दोहराया। आश्रितों का कहना है कि अब वे उम्र की उस दहलीज पर पहुंच चुके हैं जहां से नौकरी की पात्रता धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। इससे बहुत से आश्रित सरकारी नौकरी के लाभ से वंचित रह सकते हैं।
करुणामूल्क संघ की उपाध्यक्ष बॉबी शुटा ने कहा कि सरकार को तीन वर्ष हो चुके हैं और सत्ता में आने से पहले वादा किया गया था कि नीति बनाकर रोजगार प्रदान किया जाएगा। लेकिन आज सभी आश्रित खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया, तो वे एक बार फिर आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।



