भले ही देश भर में लोकसभा के चुनाव हो रहे हों, लेकिन कांग्रेस पार्टी का फोकस हिमाचल प्रदेश है.. इसलिए अब विधानसभा का नंबर गेम बिगड़ने का डर भी कांग्रेस को नहीं है.. ऐसा इसलिए क्यों कि पहले खबरें थी कि कांग्रेस अपने विधायकों को लोकसभा चुनाव में नहीं उतारेगी..लेकिन कांग्रेस की रणनीतियां दिन ब दिन बदलती जा रही हैं.. जिसका नतीजा ये निकला कि कांग्रेस ने मंडी से सिटिंग एमएलए विक्रमादित्य सिंह और शिमला से सिटिंग एमएलए विनोद सुल्तानपुरी को मैदान में उतार दिया है.. कांग्रेस के इस फैसले के बाद से माहौल ऐसा है कि कांग्रेस को लग रहा है कि कांग्रेस हिमाचल प्रदेश के लोकसभा चुनाव में कुछ जलवा कर सकती है.. ऐसे में अब कांगड़ा-चंबा और हमीरपुर लोकसभा सीट पर सबकी नजरें हैं.. इसके पीछे की इनसाइड स्टोरी ये है कि साफ है कांग्रेस टिकट बंटवारे में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती है..और जिस तरह से कांग्रेस ने मंडी और शिमला में अपने विधायकों पर दांव खेला है.
ऐसा माना जा रहा है कि अब कांगड़ा-चंबा और हमीरपुर लोकसभा के लिए भी कांग्रेस अब सिटिंग एमएलए पर ही अपना दांव खेल सकती है.. ये हम इसलिए कह रहे हैं, क्यों कि इस बात के संकेत खुद उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने उस दिन ही दे दिए थे..जिस दिन दिल्ली में कांग्रेस इलेक्शन कमेटी की बैठक हुई थी.. मुकेश अग्निहोत्री ने साफ कहा है कि चारों लोकसभा सीटें जीतनी है इसलिए कांग्रेस इस बार विधायकों को मैदान में उतारने जा रही है.. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि एक एक करके उम्मीदवारों का ऐलान किया जाएगा.. अब यहां सवाल हमीरपुर में सतपाल रायजादा है, जिनके नाम का ऐलान मुख्यमंत्री सुक्खू ने मंच से किया था..
सवाल ये है कि क्या सतपाल रायजादा के नाम पर हाईकमान सहमत नहीं है? सवाल ये है कि क्या हाईकमान हमीरपुर में भाजपा उम्मीदवार अनुराग सिंह ठाकुर के सामने सतपाल रायजादा को कमजोर उम्मीदवार मान रहा है? सवाल ये है कि क्या कांग्रेस हाईकमान सतपाल रायजादा की जगह कोई और मजबूत विधायक या किसी नेता को मैदान में उतारने की सोच रहा है? ये तमाम सवाल इसलिए क्यों कि जब सतपाल रायजादा के नाम का ऐलान खुद मुख्यमंत्री ने मंच से किया था..तो उस वक्त मुकेश अग्निहोत्री भी वहां मौजूद थे.. ऐसे में जिस दिन मंडी और शिमला से विधायकों के
नाम सामने आए, तो फिर सतपाल रायजादा का नाम क्यों रोक दिया गया.. इसका मतलब है कि कांग्रेस हाईकमान सतपाल रायजादा के नाम पर सहमत नही हैं..
अब बात कांगड़ा-चंबा की है.. वो इसलिए क्यों कि कांगड़ा-चंबा का पेंच कई दिनों से फंसा हुआ है.. काफी चर्चाओं और मंथन के बाद आशा कुमारी का नाम लगभग फाइनल माना जा रहा था..लेकिन कांग्रेस की गुप्त बैठकों और भाजपा नेताओं से कांग्रेस के संपर्कों ने कांग्रेस का मन लगता है कांगड़ा-चंबा में भी बदल कर रख दिया है.. जिस तरह से मुकेश अग्निहोत्री विधायकों को मैदान में उतारने की बात कह रहे हैं..उससे साफ है कि कांगड़ा-चंबा की लोकसभा सीट पर भी कोई मजबूत उम्मीदवार ही कांग्रेस मैदान में उतारेगी..और हो सकता है कि वो उम्मीदवार भी कांग्रेस का एक मजबूत विधायक हो.. क्यों कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में अब जीतने के लिए चुनाव लड़ रही है, ना कि हारने के लिए..
इनके बयानों के मायने साफ तौर पर ये हैं कि भले ही हिमाचल कांग्रेस पदाधिकारियों ने उम्मीदवारों के नामों का पैनल हाईकमान को भेज दिया हो..लेकिन हाईकमना का साफ तौर पर कहना है कि हिमाचल में भाजपा के सामने मजबूत दावेदार ही चलेगा..फिर चाहे वो कांग्रेस का विधायक ही क्यों ना हो.. वैसे भी मंडी में भाजपा उम्मीदवार कंगना रनौत के सामने कांग्रेस के विक्रमादित्य और
शिमला में सुरेश कश्यप के सामने कांग्रेस विधायक विनोद सुल्तानपुरी के मैदान में आने के बाद हिमाचल में लोकसभा चुनाव का मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है… ऐसे में अब देखना ये होगा कि कांग्रेस कांगड़ा-चंबा और हमीरपुर लोकसभा के लिए किन विधायकों पर दांव खेल सकती है?
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