शिमला में बढ़ते पेयजल संकट को लेकर स्थिति काफी गंभीर होती जा रही है और लोगों को पानी की बूंद-बूंद के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। हालांकि, हाईकोर्ट ने पानी की किल्लत को लेकर निगम प्रशासन को लताड़ भी लगाई है, लेकिन बावजूद इसके निगम पेयजल के संकट से लोगों को निज़ात दिलाने में नाकामयाब साबित हो रहा है।
शहर में पानी के गम्भीर संकट को देखते हुए कांग्रेस ने बीजेपी शासित नगर निगम से इस्तीफे की मांग की है। शहर में सात-सात दिनों बाद मिल रहे पानी पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने डिप्टी मेयर का घेराव किया और निगम के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी शासित नगर निगम शहर की जनता के प्रति गम्भीर नहीं है, जिससे शहर में पेयजल संकट गहरा गया है। साथ ही माकपा ने भी बीजेपी शासित निगम को पानी के समस्या पर फेल बताया और बर्खास्ती की मांग की।
सीवरेज युक्त पानी की सप्लाई
इससे पहले भी शिमला नगर निगम की लापरवाही देखने को मिली है, जहां लोगों को सीवरेज युक्त पानी की सप्लाई दी गई। कनलोग वार्ड के कई घरों में गुरुवार को पानी की जगह सीवरेज की सप्लाई दी गई। सीवरेज के पानी से रात भर टंकियां भरती रही और सुबह जब लोगों ने पानी के नल खोले तो उसमें सीवरेज के पानी की सप्लाई आने से हड़कंप मच गया। लोगों ने तुरंत नगर निगम की मेयर से लेकर सभी अधिकारियों को फोन किए लेकिन मौके पर कोई नहीं पहुंचा।
क्या कहते हैं डिप्टी मेयर
वहीं, डिप्टी मेयर राकेश चौहान का कहना है कि जिन पेयजल स्त्रोतों से शहर के लिए पानी लाया जाता है उन सभी स्त्रोतों में पानी की मात्रा काफी घट गई है जिससे शहर में पेयजल संकट गहरा गया है। उन्होंने पानी की गम्भीर स्थिति पर सभी पार्षदों और अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद निर्णय लेने की बात कही है। डिप्टी मेयर ने पानी के निराकारण के सवाल का जबाब देते हुए कहा कि पूर्व सरकार के समय यदि कोई योजनायें बनाई होती तो शहरवासियों को आज यह दिन न देखने पड़ते शहरवासियों को पानी महीने में 10 दिनों में ही पानी मिल रहा है।