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कांग्रेस मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय समीकरण से लेकर क्षेत्र का भी बिठाना होगा तालमेल

पी. चंद | Updated :

शिमला ( पी. चंद ) : हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार पर अभी पेंच फंसा हुआ है. मंत्रिमंडल विस्तार के लिए अभी जनवरी माह तक का इंतजार करना पड़ सकता है. हिमाचल में मंत्रिमंडल विस्तार के लिए वरिष्ठता, जातीय समीकरण, युवाओं के प्रतिनिधित्व के साथ-साथ क्षेत्र को भी तव्वजो देनी होगी. हिमाचल मंत्रिमंडल विस्तार में तालमेल बिठाना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है.
क्योंकि मंत्री 10 बनने हैं लेकिन मंत्री पद की दौड़ में कई नेता है. कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीट कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से 12 तो शिमला संसदीय क्षेत्र से 13 सीटें मिली है. ऐसे में इन क्षेत्रों को भी ज्यादा प्रतिनिधित्व देना सुखविंदर सरकार में सबसे बड़ी चुनोती है.

शिमला की बात करें तो मंत्री पद के लिए विक्रमादित्य सिंह से लेकर अनिरुद्ध सिंह, कुलदीप राठौर, नंदलाल, मोहन ब्रागटा मंत्री पद की दौड़ में हैं. उधर सिरमौर जिला में हर्षवर्धन चौहान का मंत्री बनना लगभग तय है जबकि विनय सिंह भी लगातार तीसरी बार जीते हैं और वीरभद्र सरकार में सीपीएस रह चुके हैं. दूसरा जातीय समीकरण में भी उनके पक्ष में जा रहा है ऐसे में सरकार उनको भी दरकिनार नहीं कर सकती है.

कांगड़ा में भी मंत्री पद कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सिर दर्द है. क्योंकि मंत्री पद की दौड़ में चंद्र कुमार वरिष्ठ होने के नाते, सुधीर शर्मा पहले भी मंत्री रहे है उनका दावा, आर.एस. बाली सबसे ज्यादा मतों से जीतकर आए हैं इसलिए वह भी दौड़ में सबसे आगे हैं. जबकि संजय रतन, आशीष बुटेल, किशोरी लाल व यादविंदर् गोमा का भी नाम लिया जा रहा हैं. इन जिलों में मंत्री पद किसको मिलेगा इस पर माथापच्ची जारी है. क्योंकि हिमाचल में 14 राजपूत 10 अनुसूचित जाति के उम्मीदवार जबकि 9 ब्राह्मण नेता जीत कर आए हैं. इसके अलावा 7 अन्य हैं. ऐसे में जातीय समीकरण के आधार पर भी मंत्रिमंडल विस्तार पर आंकलन किया जा रहा है. इस बीच खबर ये भी है कि सुखविंदर सरकार पहले 8 मंत्रियों को शपथ दिला सकती है जिसके लिए जनवरी के पहले हफ्ते का अनुमान लगाया जा रहा है.