➤ सिरमौर के दो भाइयों ने संविधान साक्षी रखकर की शादी
➤ अंबेडकरवादी सोच से दिखावे और कर्मकांड को चुनौती
➤ समानता और आधुनिकता का नया सामाजिक संदेश
सिरमौर जिले के शिलाई क्षेत्र की नैनीधार पंचायत के कलोग गांव में दो सगे भाइयों ने एक ऐसा इतिहास रच दिया, जिसने समाज को नई दिशा दिखा दी है। सुनील कुमार बौद्ध और विनोद आज़ाद ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों से प्रेरित होकर संविधान को साक्षी मानकर अपना विवाह संपन्न किया। जहां आज भी समाज में दिखावा और कर्मकांड हावी हैं, वहीं इन दोनों भाइयों ने बराबरी और आधुनिकता की मिसाल पेश की है।
सुनील कुमार ने रीता और विनोद आज़ाद ने रीना वर्मा के साथ सात फेरे नहीं, बल्कि सात संवैधानिक वचन लिए। इस अनोखे विवाह में वेद-मंत्रों की जगह संविधान की प्रतियां सामने रखी गईं और मूल अधिकारों, कर्तव्यों, सम्मान तथा समानता जैसी लोकतांत्रिक मूल्यों को विवाह का आधार बनाया गया। इस अवसर पर दोनों भाइयों ने स्पष्ट कहा कि शादी सिर्फ़ एक रस्म नहीं बल्कि जीवन मूल्य और समझदारी का प्रतीक है। दोनों भाई सरकारी सेवा में कार्यरत हैं और लंबे समय से सामाजिक सुधार की राह पर चल रहे हैं।
इस विवाह समारोह को देखकर ग्रामीणों में उत्साह देखने को मिला। बड़ी संख्या में लोगों ने इस पहल की सराहना की और इसे सामाजिक क्रांति की ओर बढ़ता हुआ पहला कदम बताया। कलोग गांव का यह विवाह अब पूरे सिरमौर में संवैधानिक सोच और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक बन गया है।
यह पहल अंधविश्वास और दिखावे के युग में एक नई रोशनी जैसी है, जो बताती है कि विवाह समानता, सम्मान और समझदारी से जुड़े जीवन के मूल सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का अवसर है। समाज के युवा इसे प्रेरणा के रूप में देख रहे हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि यह सोच आगे और तेजी से प्रसारित होगी।



