<p>स्थानीय एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की ओर से कोरोनकाल में मीडिया की भूमिका- जागरूकता और रोकथाम विषय पर सोमवार को एक दिवसीय वेबिनार आयोजित किया गया। वेबिनार की अध्यक्षता अध्यक्षता कुलपति प्रो. डॉ. रमेश चौहान ने की और वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अश्वनी शर्मा इस कार्यक्रम के मॉडरेटर व समन्वयक रहे। प्रति-कुलाधिपति प्रो. डॉ. रमेश कुमार चौधरी और कुलपति प्रो. डॉ. रमेश चौहान की गरिमामयी उपस्थिति में वेबिनार की शुरुआत हुई जिसमें जाने माने वरिष्ठ पत्रकार इंडिया न्यूज़ चैनल की ओर से दिनेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार व लेखक राशिद किदवई और दैनिक ट्रिब्यून के पूर्व ब्यूरो चीफ एवं हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में प्रो. डॉ. शशिकांत ने बतौर मुख्य मीडिया विशेषज्ञ व वक़्ता शिरकत की। वेबिनार में एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के छात्रों सहित प्राध्यापकों, विभागाध्यक्षों और मीडिया से जुड़े लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। </p>
<p>वेबिनार का संचालन करते हुए डॉ. अश्वनी शर्मा ने कहा कि कोरोनकाल में कोरोना संकट से उबरने के लिए मीडिया की अहम भूमिका है परंतु मीडिया को सही सूचना लोगों को उपलब्ध करवानी चाहिए और सरकारों का इस महामारी के संकट से निपटने के लिए सही मार्गदर्शन करना चाहिए। डॉ. अश्वनी शर्मा ने कहा कि मौज़ूदा समय मीडिया सहित सभी के लिए जोखिम भरा है और सबको मिलकर इससे निपटना होगा ताकि लोगों को महामारी के प्रकोप से बचाया जा सके।</p>
<p>वेबिनार में मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार दिनेश शर्मा ने वेबिनार में शामिल सभी लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि संकटकाल में मीडिया की भूमिका और अधिक अपरिहार्य हो गई है परंतु मीडिया को कोविड संकट और स्वास्थ्य व्यवस्था और सरकारों के द्वारा किए जा रहे कार्यों पर पैनी नज़र रखनी चाहिए और लोगों को सही जानकारी प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मीडिया और मीडिया के लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को कोविड महामारी और इससे जुड़ी जागरूकता व रोकथाम की सूचनाएं लोगों तक पहुंचा रहे हैं, फिर भी मीडिया पर आरोप लगाए जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया का मकसद संकटकाल में सनसनीखेज खबरें फैलाना नहीं बल्कि सरकारों, स्वास्थ्य व्यवस्था पर ग्राउंड रिपोर्टिंग करना जनहित में है ताकि सरकारों और स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त कर लोगों को कोविड के खतरे से बचाया जा सके। दिनेश शर्मा ने कहा कि इस संकट के दौर में मीडिया का उद्देश्य सरकारों की आलोचना करना नहीं है परंतु सरकारों के गलत निर्णयों की आलोचना जनहित और सरकार को सही मार्गदर्शन व सचेत करना है। </p>
<p>शर्मा ने कहा कि इस संकट ने भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी कि हमारे देश में आज़ादी के लगभग सत्तर सालों में स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई है और ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक सवास्थ्य उपलब्ध सुगम नहीं हो पाया है। शर्मा ने कहा कि यह समय विजय हासिल करने का नहीं है बल्कि लोगों को बचाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए और कोरोना वैक्सीनेशन में देरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत इस कोरोना महामारी से निपटने के लिए पहले से योजनाबद्ध तरीके से तैयार नहीं था जिसका जोखिम अब कोरोना की दूसरी लहर में उठाना पड़ रहा है। शर्मा ने सवाल किया कि क्या सरकारों के पास इस संदर्भ में एक यूनिफॉर्म पालिसी नहीं है ताकि लोगों को सही स्वास्थ्य लाभ मिल सकें। उन्होंने कहा कि सरकार को और भी दवा कंपनियों को वैक्सीनेशन निर्माण में शामिल करना चाहिए था। </p>
<p>वहीं, वेबिनार में मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार व लेखक रशीद किदवई ने अपने विचार रखते हुए छात्रों, शिक्षकों और वेबिनार में शामिल लोगों को संबोधित किया कि भारत में जनहित की रक्षा के लिए सवास्थ्य सेवा में अनुसंधान होना बेहद जरूरी है ताकि कोरोना जैसे संकटों से निपटने के लिए विकसित देशों की तरह तैयार रहें। उन्होंने कहा कि जब भी मानव पर कोई संकट आता है तो मनुष्य का व्यवहार में भी परिवर्तन आता है। किदवई ने कहा कि भारतीय सरकारें, पक्ष-विपक्ष दल और समाज आज भी पुराने चश्मे से व्यवस्थाओं को देख रहा है। अगर मीडिया आलोचना करे तो मीडिया को दोषी मानते हैं।</p>
<p>किदवई ने कहा कि मीडिया में भी कई विचारों के लोग हैं जो गलत को गलत नहीं ठहराते, यह व्यवहार संकटकाल में काम नहीं आता। उन्होंने कहा कि इस कोरोना संकट में लोग भी लापरवाही बरत रहे हैं, यदि लोगों में डर होता तो कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं होता, लोग सही तरीके से मासक पहनते। किदवई ने कहा कि सरकारी व्यवस्थाओं को भी कसूरवार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि भारत में लोग ऐसे संकटों को हल्के में लेते हैं जिसके परिणाम सभी को भुगतने पड़ते हैं।</p>
<p>प्रो. डॉ. शशिकांत शर्मा ने वेबिनार में उपस्थित सभी छात्रों, शिक्षकों, छात्रों और लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोनकाल में मीडिया को अपनी पैनी नज़र रखनी चाहिए। प्रो. शशिकांत शर्मा ने कहा कि मीडिया में रिपोर्टिग ऐसी हो कि वह सरकारों को रास्ता दिखाएं कि सरकार कहां असफल हो रही हैं , कहां स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवानी है। प्रो. शर्मा ने कहा कि मीडिया को लोगों के बीच डर नहीं फैलाना चाहिए परंतु महामारी से निपटने के लिए कुछ हद तक डर भी जरूरी है ताकि लोग सरकार से नहीं तो मीडिया की ग्राउंड रिपोर्टिंग से डरें और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें , मासक पहने और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि अगर डर जनता की सुरक्षा के लिए है तो डर भी अच्छा है।</p>
<p>उन्होंने कहा कि मीडिया को ग्राउंड रिपोर्टिंग कर वास्तविक स्थिति से लोगों को अवगत करवाना पड़ रहा है , यह जनहित में जरूरी भी है और सरकारों, प्रसाशन और स्वास्थ्य सेवाओं की आँख भी खोल रहा है। प्रो. डॉ. रमेश कुमार चौधरी ने संबोधित करते हुए कहा कि मीडिया लोगों के पास एकमात्र विकल्प है जो संकटकाल में लोगों को संकट की सही परिस्थिति से अवगत करवा रहा है। वेबिनार के अंत में छात्रों और लोगों द्वारा कोरोना संकटकाल से जुड़े सवालों का जबाब मुख्य वक्ताओं द्वारा दिया गया।</p>
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