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टांडा अस्पताल में डॉक्टर ने हेल्थ प्रोटेक्शन कार्ड से इलाज करने को किया इंकार, लिया कैश

<p>जयराम सरकार के स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये गए दावे अस्पतालों में फ़ेल होते नज़र आ रहे हैं। एक ओर लोग बीजेपी स्वास्थ्य सुविधाओं पर ढिंढोरा पिटती नहीं थकती, वहीं सरकारी योजनाएं अस्पतालों में दम तोड़ रही हैं।</p>

<p>दरअसल, हिमाचल प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल और स्वास्थ्य मंत्री के जिले में यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम का कार्ड मान्य नहीं हैं। ये हम नहीं कह रहे, यह कहना है हिमाचल सरकार के इस कार्ड धारक का जिसका नाम है प्रेम पाल। प्रेम पाल हरसर ज्वाली जिला कांग़ड़ा के रहने वाले हैं। प्रेम ने बकायदा इसकी शिकायत टांडा अस्पताल के प्रिंसिपल को भी दी, लेकिन खबर लिखे जाने तक मामले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>क्या मामला है…??</strong></span></p>

<p>प्रेम पाल 18 दिसंबर को अपने जबड़े का इलाज करवाने के लिए टांडा मेडिकल कॉलेज में एडमिट हुए थे। यहां डॉक्टर ने उन्हें कहा कि उनके जबड़े में तीन प्लेटे डाली जाएंगी। जब मरीज ने अपना सरकार की योजनाओं का कार्ड (जिसे सरकार विज्ञापन के माध्यम से और हर मंच से बता रही है कि कार्ड बनाओ और फ्री इलाज पाओ) दिखाया तो डॉक्टर ने इस कार्ड से इलाज होने से मना कर दिया और कैश पेमेंट देने की भी डिमांड कर डाली।</p>

<p>19 दिसंबर को पीड़ित का इलाज किया गया और उसी दौरान डॉक्टर सुखविंदर सिंह राणा ने उनसे कैश ले लिया। मामला यहीं खत्म नहीं हुआ, हद तो तब हो गई जब डॉक्टर साहब ने और कैश की डिमांड कर डाली। डॉक्टर ने मरीज़ से कहा की अगर उसे बिल चाहिए तो 4,110 रुपये की पेमेंट और करनी होगी। अगर बिल नहीं चाहिए तो 2000 देने होंगे। ऐसे में मरीज ने डॉक्टर से बिल लेने की डिमांड कर दी तो डॉक्टर साहब ने किसी ज्वाली की निजी दुकान की बिल मरीज को थमा दिया।</p>

<p>अब आप ही इस सारी कहानी से अंदाजा लगा सकते हैं की किस तरह हिमाचल के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर अपनी मनमानी कर रहे हैं। मामले पर जब टांडा के प्रिंसिपल डॉक्टर भानु अवस्थी से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने बात करने से इंकार कर दिया।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>पीड़ित का बयान</strong></span></p>

<p>पीड़ित का कहना है की मैंने डॉक्टर सुखविंदर राणा कैश दिया है। जब ऑपरेशन की बात हुई थी तभी मैंने आपना सरकार द्वारा बनाया गया कार्ड दिखाया था। लेकिन डॉक्टर ने इसे लेने से इंकार कर दिया। डॉक्टर ने कहा था कि सामान चंडीगढ़ से आना है। लेकिन अब जो बिल दिया गया है वे ज्वाली के निजी दुकान का है।</p>

<p>उधर जब इस बारे में डॉक्टर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मरीज ने सरकारी कार्ड बाद में दिया था जो फ़ाइल में अपडेट नहीं था। मैंने कोई कैश नही लिया है। मामले की जांच अस्पताल प्रशासन द्वारा की जा रही है।</p>

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