रानी खैरगढ़ी और भैरो कभी मरा नहीं जैसे उपन्यासों के रचयतिा हिमाचल प्रदेश के ख्यात साहित्यकार डा. गंगाराम राजी को साहित्य के लिए डा. परमार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है। उन्हें यह सम्मान हिमाचल प्रदेश सिरमौर कला संगम की ओर से वशिष्ठ आश्रम बायरी -ददाहू में आयोजित एक गरिमामय समारोह में प्रदान किया गया। इसके अलावा रंगकर्मी दक्षा उपाध्याय को अभिनय और निर्देशन के लिए पुरस्कृत किया गया.
डा. गंगाराम राजी हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा उपन्यास लिखने वाले एकमात्र उपन्यासकार हैं। वहीं ऐतिहासिक चरित्रों पर उपन्यास लिखकर इतिहास और संस्कृति से नई पीढ़ी को रू-ब-रू करवा रहे हैं। वहीं पर तीन सौ से ज्यादा कहानियां लिखने वाले गंगा राम राजी के बारे में प्रदेश के मशहूर कवि डा. कुमार कृष्ण लिखते हैं कि – वह पचास वर्षों से कात रहा है वर्णमाला के धागे…बुन रहा है मंडयाली लाई, छुपाये जा सके जहां बेशुमार किस्से, बचाई जा सके सर्दी से कांपती ठिठुरती कहानियां।
किस्सों और कहानियों को बचाने वाला यह रचनाकार अब तक 27 कहानी संग्रह और 14 उपन्यासों की रचना करने के बाद भी थका नहीं है। बल्कि हर रोज नई ऊर्जा के साथ सृजनरत रहता है। रानी खैरगढ़ी, भैरो कभी मरा नहीं, सिंध का गांधी स्वामी कृष्णा नंद, मेरो दर्द न जाने कोय, जनरल जोराबर सिंह कलहूरिया और बम मास्टर भाई हिरदा राम जैसे उपन्यासों की रचना के बाद भी डा. गंगाराम राजी कहानियां और उपन्यास लेखन में सक्रिय हैं।
उन्हें अब तक प्रदेश व प्रदेश से बाहर अनेक संस्थाओं की ओर से सम्मानित किया गया है। जिसमें भारतीय वांगमय पीठ कोलकाता, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जयपुर व छत्तीसगढ़ की अनेक संस्थाएं शामिल हैं। इसके अलावा रानी खैरगढ़ी उपन्यास पर हिमाचल कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी का साहित्य पुरस्कार मिला है।
वहीं पर बहुमुखी प्रतिभा की धनी रंगकर्मी दक्षा उपाध्याय की रंग यात्रा मंडी से होते हुए दिल्ली राष्ट्रीय नाटय विद्याालय, उडि़सा और माया नगरी मुंबई तक पहुंची है। अभिनय और निर्देशन में बरारब का दखल रखने वाली दक्षा उपाध्याय को भी सिरमौर कला संगम की ओर से सम्मानित किया गया है।