बारिश कम होने के कारण गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष आगजनी की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। मौसम की बेरुखी के चलते हर वर्ष 15 अप्रैल से शुरू होने वाले फायर सीजन को इस बार 1 अप्रैल से ही घोषित कर दिया गया था। वन मंत्री राकेश पठानिया का कहना है कि आगजनी की घटनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से भी विभाग द्वारा कार्यशालायों और नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया जा रहा है ताकि लोग आग लगाकर जंगलों को नुकसान न पहुचाएं ओर करोड़ों रुपये की वन संपदा को नुकसान से बचाया जा सके।
प्रदेश के जंगलों में आगजनी का मुख्य कारण लोगों की लापरवाही रहता है जिससे प्रदेश को करोड़ों की वन सम्पदा का नुक्सान झेलना पड़ता है। इस नुक्सान से बचने के लिए आगजनी की घटनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वन विभाग द्वारा इस वर्ष जागरूकता शिविरों के साथ ही नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
वन मंत्री राकेश पठानिया ने बताया की मौसम की बेरुखी के चलते इस वर्ष फायर सीजन 15 अप्रैल की बजाए 1 अप्रैल से ही घोषित करना पड़ा। उन्होंने कहा की फायर सीजन को देखते हुए इस वर्ष विभाग द्वारा किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए पहले ही टीमों का गठन कर दिया गया था यह टीमें आगजनी की सुचना मिलते ही मौके पर पंहुचकर हर तरह की स्थिति से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वन मंत्री ने कहा कि मौसम की बेरुखी के चलते इस बार सूखे जैसे हालात पैदा हो गए थे जिससे आगजनी की घटनाओं में इजाफा हुआ और करोड़ों रुपये की वन संपदा का नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा की हाल ही में हुई बारिश से आगजनी की घटनाओं से कुछ राहत मिली है ओर उन्हें उम्मीद है कि बारिश का ये क्रम भविष्य में भी जारी रहेगा जिससे वनों में आगजनी की घटनाओं पर अंकुश लगेगा। वहीं वन मंत्री ने कहा कि अग्निशमन विभाग के साथ मिलकर आगज़नी घटनाओं पर काबू पाने के लिए अग्निशमन वाहनों का सहारा लिया जाएगा और जहां अग्निशमन वाहन नहीं पहुंच पाएंगे वहां हेलीकॉप्टर के माध्यम से भी आग बुझाई जाएगी। हेलीकॉप्टर से आग बुझाने के लिए मंत्रिमंडल की बैठक से मंजूरी ली जाएगी।