<p>हिमाचल में बिजली मंहगाई का करंट लग सकता है। राज्य बिजली बोर्ड ने विद्युत नियामक आयोग में याचिका दायर की है। जिसमें बोर्ड ने बताया है कि प्रदेश में साल 2017 में 252 करोड़ रूपए का घाटा हुआ है। बिजली बोर्ड का सालाना खर्च करीब 5532 करोड़ रुपये है। वर्तमान की बिजली दरों से बोर्ड को सालाना 4511 करोड़ रुपये और पड़ोसी राज्यों को बिजली बेचकर 768 करोड़ रुपये की आय हो रही है।</p>
<p>बोर्ड ने दायर याचिका में बताया है कि प्रदेश में पिछले कुछ समय से बिजली के रेट काफी कम हो गए है। जिससे अच्छे रेट न मिलने से बोर्ड को घाटा हो रहा है। हिमाचल में 2017 में भी बिजली रेट नहीं बढ़ाए गए थे। आयोग ने 2016-17 के रेट स्लैब को भी 2017 में लागू करने का फैसला किया था। प्रदेश में अभी 0-60 यूनिट तक बिजली रेट 2.85 पैसे है। जिससे बोर्ड को काफी घाटे का सामना करना पड़ रहा है। </p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>प्रदेश में 10500 MW बिजली होती है इस्तेमाल</strong></span></p>
<p>प्रदेश में 27500 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन की क्षमता को चिन्हित किया गया है। जिसमें 2500 मेगावाट की विभिन्न परियोजनाएं अंडर प्रोसेस हैं और 8000 मेगावाट की परियोजनाओं का आवंटन किया गया है। वहीं प्रदेश में 10500 मेगावाट बिजली का इस्तेमाल हो रहा है।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>बर्फबारी को बताया घाटे का कारण</strong></span></p>
<p>बिजली बोर्ड ने पिटीशन में बताया है कि पिछले साल हुई भारी बर्फबारी से बिजली की लाइनें अस्त व्यस्त हो गई। जिसे नए सिरे से बिछाना पड़ा। इससे बोर्ड को करोड़ों का नुकसान हुआ। प्रदेश की भूगौलिक स्थिति के चलते कई क्षेत्रों में बिजली पहुंचाना काफी महंगा पड़ता है। ट्रांसमिशन लॉस काफी ज्यादा है आय के साधन कम होने और खर्च अधिक होने की बात बोर्ड ने रिव्यू पिटीशन में नियामक आयोग को बताई है।</p>
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