- गेहूं खरीद में देरी और ऑनलाइन टोकन प्रणाली पर किसानों की नाराजगी
- आवारा पशुओं और बंदरों की समस्या के समाधान की मांग
- पिछले वर्ष की फसल का मुआवजा न मिलने पर आंदोलन की चेतावनी
Wheat Procurement Delay: जिलेभर के किसानों ने अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर एक महत्त्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें सरकार और प्रशासन के प्रति नाराजगी जताई गई। किसानों ने गेहूं खरीद प्रक्रिया में हो रही देरी, ऑनलाइन टोकन व्यवस्था की परेशानी, आवारा पशुओं और बंदरों की समस्या तथा पिछले वर्ष की फसल का मुआवजा न मिलने जैसे मुद्दों पर कड़ा रुख अपनाया।
बैठक में किसानों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हर साल गेहूं खरीद प्रक्रिया में देरी हो रही है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस बार भी खरीद समय पर शुरू नहीं हुई तो वे सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।
किसानों ने ऑनलाइन टोकन सिस्टम पर कड़ी नाराजगी जताई और इसे अव्यवहारिक बताया। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली किसानों के लिए सुविधाजनक नहीं है और सरकार को इसे तुरंत खत्म कर पारंपरिक ऑफलाइन टोकन सिस्टम लागू करना चाहिए, ताकि सभी किसान आसानी से अपनी फसल बेच सकें।
बैठक में किसानों ने आवारा पशुओं और बंदरों की समस्या पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि यह समस्या अब केवल ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं रही, बल्कि शहरों में भी इनका आतंक बढ़ता जा रहा है। इससे न केवल किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं, बल्कि स्थानीय लोग भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की मांग की।
किसानों ने यह भी बताया कि पिछले वर्ष खराब हुई फसल का मुआवजा अब तक नहीं दिया गया है। उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द मुआवजा जारी करने की मांग की, ताकि वे आगामी फसल की तैयारी कर सकें।
बैठक के बाद किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल एसडीएम कार्यालय पहुंचा और अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान जल्द नहीं हुआ तो वे बड़े आंदोलन का रुख अपनाएंगे।
किसानों की इस महापंचायत ने सरकार और प्रशासन को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि यदि उनकी मांगों को जल्द नहीं माना गया तो विरोध प्रदर्शन और उग्र हो सकते हैं।



