सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की कमी से जहां अभिभावक परेशान हैं, वहीं निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली से अभिभावक नाराज हैं। नया शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी भी शुरू हो गई है। प्रदेश भर में चलाए जा रहे निजी स्कूलों में स्कूली बच्चों की फीस में 15 फीसदी तक की बढ़ोतरी की गई है। नए सत्र के साथ ही निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से कई जगह वसूली शुरू हो गई है।
शिमला समेत प्रदेश भर में ज्यादातर स्कूलों ने एडमिशन से लेकर ट्यूशन फीस में पंद्रह फीसदी तक बढ़ोतरी कर दी है। फीस के अलावा बिल्डिंग फंड, स्कूल टैक्सी फेयर भी बढ़ा दिया गया है। वर्दी, किताबों-कॉपियों के नाम पर ज्यादा फीस वसूली जा रही है। सरकार चाहे निजी स्कूलों पर नकेल कसने को लेकर कितने भी दावे कर ले लेकिन नए सत्र के साथ फिर फीस में बढ़ोतरी की गई है।
सरकार ने निजी स्कूलों में फीस वृद्धि और अन्य खर्चों पर लगान लगाने से लेकर तमाम दावों के बावजूद प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी रोकने की अभी तक कोई भी व्यवस्था नहीं है। हालांकि सरकार ने निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने के लिए नियामक आयोग के गठन की घोषणा की थी। लेकिन यह अभी तक केवल घोषणा तक ही सीमित रह गया।
हालांकि कुछ स्कूलों की वृद्धि पांच फीसदी तक है लेकिन अधिकांश 10 फीसदी और कुछ 15 फीसदी तक वृद्धि की है। फीस बढ़ोतरी पर सरकार के हस्तक्षेप न होने से अभिभावकों को स्कूल द्वारा तय फीस जमा करवानी पड़ रही है। हर साल की तरह इस बार भी अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की मनमानी का शिकार हो गए हैं।
हिमाचल सरकार के शिक्षा विभाग सचिव अरुण कुमार शर्मा से जब इस बारे बात की गई तो उन्होंने बताया कि निजी स्कूलों को नियामक आयोग के दायरे में लाने के लिए शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर चुकी है और अब इस बारे में सरकार को फैसला लेना है। विधानसभा से प्रस्ताव पारित होते ही इसमें एक्ट लागू कर दिया जाएगा।
सरकार हर बार निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाने की बात करती है। बकायदा इसके लिए आयोग बनाए जाने की घोषणा की जाती है। लेकिन सरकार द्वारा अभी तक किसी भी प्रकार के आयोग की व्यवस्था नहीं की गई है। हर साल की तरह इस बार भी बच्चों के अभिवावकों को निजी स्कूलों की मनमानी सहनी पड़ रही है।