रविवार के अवकाश के बाद दोपहर 2 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई। प्रश्नकाल तो शांतिपूर्ण तरीके से चला लेकिन जैसे ही प्रश्नकाल ख़त्म हुआ विपक्ष के विधायक जगत सिंह नेगी ने सदन में नियम 323 प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के तहत मुख्यमंत्री पर विधायक के खिलाफ असंसदीय भाषा प्रयोग करने का मामला उठाया। जिस पर सदन में खूब हंगामा हुआ ओर दोनों तरफ़ से तीखी नोंकझोंक होने लगी।
मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि विधायक जगत सिंह नेगी और विपक्षी विधायक खुद प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं लेकिन जब वह बोलते है तो उनको तकलीफ़ होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष के नेता ने सदन में “जोईया मामा शुणदा नही, कमर्चारियों दी मान्दा नही” कहा ये कौन सी संसदीय भाषा है। इसके बाद विपक्ष ने यही नारा सदन में लगाना शुरू कर दिया और सदन से वॉकआउट कर दिया।
विपक्ष के नेता ने बताया कि 5 मार्च बजट पर चर्चा के दौरान विपक्षी विधायक जगत सिंह नेगी ने प्रधानमत्री को लेकर तीखी टिप्पणी की थी जिस पर मुख्यमंत्री ने विधायक को खरी खोटी सुनाई। आज मामला सदन में फिर से उठा जिसको लेकर काफी गहमा गहमी हुई और विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। विपक्ष ने कहा है कि मुख्यमंत्री जिस नारे को लेकर आपत्ति कर रहे हैं वह नारा सिरमौरी भाषा में है और उस नारे में कोई भी अभद्रता नहीं है।
उधर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि वॉकआउट करना विपक्ष की आदत बन चुकी है जबकि बजट पर सदन में सार्थक चर्चा चल रही है लेकिन विपक्ष उसमें चर्चा न कर अभद्रता कर रहा है। विपक्ष ने बिना वजह से सदन से वाॉकआउट कर दिया। विपक्ष की तरफ से भाषा का संयम नहीं रखा जाता है। उन्होंने तो सिर्फ़ जगत नेगी को व्यक्ति कहकर संबोधित किया था वह व्यक्ति ही है कोई देवता नहीं…
क्या है जोइया मामा?
दरअसल ये पहाड़ी भाषा में विरोध जताते हुए कर्मचारियों ने नारे लगाए थे। सिरमौर भाषा में लगाए गए नारों में मामा का अर्थ रिस्पेक्टिव है। रही जोइया शब्द की बात तो इसका अर्थ माना जा रहा है जयराम ठाकुर…



