देश के शहीद का शव उसके घर पहुंच सके, उसके परिजन उसका अंतिम दर्शन कर सकें, रस्मों के तहत राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार हो सके, यह व्यवस्था अगर किसी ने की थी तो यह देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई ने की थी। नहीं तो इससे पहले शहीदों के ट्रंक और बिस्तर ही घर पर पहुंचते थे। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने सोमवार को कारगिल विजय दिवस सैनिक सम्मान कार्यक्रम के दौरान कही। सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र की पंचायत टोणी देवी में आयोजित सैनिक सम्मान कार्यक्रम के दौरान सैनिक परिवारों को कारगिल विजय दिवस पर सम्मानित किया गया ।
कारगिल विजय दिवस की गाथा को याद करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने इस ऑपरेशन में देश की सुरक्षा में शहादत का जाम पीने वाले सैनिकों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के नाते 4 जुलाई को भ भी कारगिल गए। उनके साथ उस समय कैबिनेट मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर और हिमाचल प्रदेश के प्रभारी जो वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी उनके साथ सैनिकों से मिलने के लिए पहुंचे। जैसे ही हम श्रीनगर पहुंचे तो हमारा वहां के मुख्यमंत्री और अब्दुल्ला ने स्वागत किया और कहा कि पहली बार कोई ऐसा मुख्यमंत्री है जो इस तरह की त्रासदी में सैनिकों से मिलने के लिए आया है।
उन्होंने कहा कि मेरे राज्य में इस तरह की घटना हुई है, मेरा आना जाना तो सैनिकों से मिलने का लगा रहता है लेकिन आप आए हैं यह आपने एक नया इतिहास रचा है। जवाब देते हुए कहा कि आपके राज्य में लड़ाई लगी है परंतु जो यह लड़ाई लड़ रहा है और जो यह शहीद हो रहा है मेरे राज्य से आते हैं इसलिए मेरा आना मेरा फर्ज है। उस समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का फोन आया कि पाकिस्तान ने तो सीज फायर करने के लिए उनके पास पहुंच गया है भारत कब सीजफायर कर रहा है। तब प्रधानमंत्री वाजपेई ने इस बात का जवाब देते हुए कहा कि जिस तरह 1948 में जवाहरलाल नेहरू ने सीजफायर कर दिया था अब ऐसा नहीं होगा गोली के बदले गोली मिलेगी शहादत का बदला शहादत से लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस युद्ध के दौरान पूरे प्रदेश से 52 सैनिक शहीद हुए थे। जिसमें सबसे ज्यादा सैनिक पुरानी बमसन के थे। कारगिल विजय दिवस पर उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने घोषणा करते हुए कहा था कि देश की सुरक्षा में लगे सैनिकों की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री धूमल अपनी यादों को याद करते हुए कुछ समय के लिए भावुक हुए और आंखें नम हो गई । इस सैनिक सम्मान कार्यक्रम के मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री ने सैनिक परिवारों पूर्व सैनिकों पूर्व सैनिकों की विधवाओं को शाल टोपी स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। और कहा कि देश सेवा में जब किसी मां के बेटे को जब शहादत मिलती है तब शहीद की मां यह कहकर विलाप नहीं करती कि मेरा बेटा मर गया वह सीना चौड़ा करके यह कह कर झूम उठती है कि उसका लाल देश की सुरक्षा में हंसते हंसते शहीद हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के सैनिकों का कर्ज कोई नहीं चुका सकता अगर सैनिक सरहद पर दिन-रात देश की सुरक्षा में लगे हैं। तभी देश के लोग अपने घरों पर चैन की नींद सोते हैं।
कार्यक्रम के अंत में लगभग दो दर्जन पूर्व सैनिकों ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा । इस कार्यक्रम में मंडल अध्यक्ष विरेंद्र ठाकुर प्रदेश पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ संयोजक कैप्टन रंजीत सिंह महामंत्री अनिल शामा पवन शर्मा मीडिया प्रभारी विनोद ठाकुर कैप्टन सुरेश अंजना ठाकुर वीना कपिल अर्चना चौहान व भाजपा के अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।