हिमाचल

फोर्टिस कांगड़ा का कमाल, 80 वर्षीय महिला का सफल स्टेंटिंग और एंजियोप्लास्टी

“लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.” इस महशूर कविता को फोर्टिस हॉस्पिटल कांगड़ा के डॉक्टरों ने सच साबित करके दिखाया है. 80 साल की बुजुर्ग महिला. ब्लड प्रेशर और सांस लेने में भयंकर तकलीफ. लेकिन, इन सबके बावजूद बुजुर्ग महिला का सफल ‘रीनल एंजियोप्लास्टी’ और ‘स्टेंटिंग’ का काम पूरा किया. आपको बता दें कि रीनल एंजियोप्लास्टी में बिना चीर-फाड़ के किडनी से जाने वाली ब्लड वेसेल में ब्लॉकेज को खत्म किया जाता है. हालांकि, इसके लिए विशेष एक्सपर्टीज की जरूरत होती है. जिसे फोर्टिस कांगड़ा के डॉक्टरों सक्सेज बनाकर अपना लोहा मनवाया है.

फोर्टिस कांगड़ा के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक बुजुर्ग महिला का ऑपरेशन के दौरान ब्लड-प्रेशर कई मर्तबा ऊपर-नीचे होता रहा. उम्र के चलते ब्लड-प्रेशन में स्टेबिलिटी नहीं थी. ब्लड-प्रेशर बढ़ने से सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी. जिसके चलते पेशंट को कई बार क्रिटिकल केयर में भर्ती करना पड़ा. इस दौरान उनका कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर अतीत ग्वालकर और नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर कुलदीप ने डायग्नोस किया.डॉक्टरों ने ऑब्जर्वेशन के बाद मरीज के गुर्दे की धमनियों का डॉपलर किया. जिससे उनकी दाहिनी गुर्दे की धमनी में रुकावट की संभावना दिखाई दी थी. एंजियोग्राफी ने उनकी दाहिनी गुर्दे की धमनी में गंभीर रुकावट की पुष्टि की. बाद में डॉ. अतीत ने उनकी एंजियोप्लास्टी और दाहिनी गुर्दे की धमनी की स्टेंटिंग की. स्टेंटिंग के दो महीने बाद उनका ब्लड प्रेशन कंट्रोल में है और उन्हें अपने बीपी के लिए किसी दवा की जरूरत नहीं है.

डॉक्टर अतीत ने कहा कि गुर्दे की धमनी स्टेनोसिस अकसर उन रोगियों में संदिग्ध होता हैं. जो अनियंत्रित हाई ब्लडप्रेशर के शिकार होते हैं. एंजियोप्लास्टी के जरिए ब्लॉकेज वाली धमनी को खोलकर रोग का प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है. हाल ही में ऐसे ही रोगी थे, जिन्हें गुर्दे की धमनी स्टेनोसिस के कारण सांस की तकलीफ के लिए बार-बार आईसीयू में एडमिट करने की जरूरत थी और उनके गुर्दे की एंजियोप्लास्टी की.

जानकारी के मुताबिक फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में इस तरह का यह दूसरा मामला है. किडनी रोग विशेषज्ञ डॅा. कुलदीप ने कहा कि हम अक्सर ऐसे रोगियों को देखते हैं जो हाई ब्लडप्रेशर और गुर्दे की शिथिलता के साथ उपस्थित होते हैं. मूल्यांकन करने पर उनमें से कुछ को गुर्दे की धमनी स्टेनोसिस होती है. यह अकसर एक इलाज योग्य बीमारी है और समय पर ढंग से पहचान किए जाने पर रोगियों को काफी लाभ होता हैं. रोगी के बेटे ने कहा कि मेरी माँ का बीपी प्रतिदिन 4 से 5 अलग-अलग दवाओं के साथ भी अनियंत्रित रहा हैं. हमें उन्हें हाई बीपी के लिए भी भर्ती कराना पड़ा था. प्रक्रिया के बाद हमें उसके बीपी नियंत्रण के लिए अस्पताल नहीं जाना पड़ा.

Ashwani Kapoor

Recent Posts

ध्रोबिया में सड़क निर्माण से खुशी की लहर, पूर्व विधायक काकू ने दिया विकास का संदेश

Dhrobia village Development: कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र के चंगर क्षेत्र में विकास की एक नई कहानी…

12 hours ago

पर्यटन निगम को राहत: 31 मार्च तक खुले रहेंगे 9 होटल, हाईकोर्ट का फैसला

High Court decision Himachal hotels: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से राज्य सरकार और पर्यटन विकास निगम…

13 hours ago

एनसीसी दिवस: धर्मशाला कॉलेज में 75 यूनिट रक्तदान, नशा मुक्ति का संदेश

NCC Day Dharamshala College: धर्मशाला स्थित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय (जीपीजीसी) में एनसीसी दिवस के उपलक्ष्य…

13 hours ago

शनिवार से कुंजम दर्रा यातायात के लिए पूरी तरह बंद , नोटिफिकेशन जारी

Kunzum Pass closed: हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले को जोड़ने वाला कुंजम दर्रा…

13 hours ago

महाराष्ट्र-झारखंड नतीजों के बीच शिमला में राहुल और सोनिया गांधी

Rahul Gandhi in Shimla: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्र में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी…

14 hours ago

मां का खौफनाक कदम: दो बच्चों की हत्या कर खुदकुशी करनी चाही पर नहीं आई मौत

Mother murders children in Noida: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के बादलपुर थाना क्षेत्र…

14 hours ago