फोर्टिस अस्पताल, कांगड़ा के कार्डियोलॉजी विभाग में डॉ निखिल पी के नेतृत्व में कार्डियोलॉजी टीम इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी बैलून (आईवीएल) तकनीक की मदद से सफलतापूर्वक एंजियोप्लास्टी की।
डा. निखिल ने बताया कि यह तकनीक फोर्टिस कांगड़ा में पिछले एक साल से अपनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि लिथोट्रिप्सी तकनीक द्वारा ब्लाॅकेज को हटाना एक बहुत सरल प्रक्रिया है, जिससे ओपन हार्ट सर्जरी से भी बचा जा सकता है।
डा. निखिल ने बताया कि चार मरीज कई महीनों से सीने में दर्द से पीड़ित थे और उनकी एंजियोग्राफी में कैल्सिफाइड ब्लॉकेज का पता चला। डॉ निखिल ने बताया कि इन रोगियों के आर्टरी में ब्लाकेज के साथ-साथ भारी मात्रा में कैल्शियम था। ऐसे कैल्सीफाइड ब्लाॅकेज को सामान्य बैलून द्वारा नहीं तोड़ा जा सकता है और इसलिए आर्टरी में स्टेंट का विस्तार नहीं हो पाता है। इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी बैलून (आईवीएल) के शॉकवेव्स द्वारा कैल्शियम को तोड़ा गया और इन आर्टरीज में स्टेंट सफलतापूर्वक लगाया गया। सभी मरीजों का इलाज इमेजिंग (इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड) के तहत किए गए थे। इस सफलतापूर्वक सर्जरी के बाद चारों मरीजों को दो दिन बाद छुट्टी दे दी गई।
फोर्टिस अस्पताल, कांगड़ा में इस अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धति के चलते भी अधिकांश रोगी क्षेत्र में उपलब्ध सुविधाओं से अवगत नहीं हैं। फोर्टिस अस्पताल, कांगड़ा का लक्ष्य प्रदेश में बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करना है, ताकि मरीजों को बाहरी राज्यों का रूख न करना पड़े और उन्हें अत्याधिक आर्थिक हानि से भी बजाया जा सके। डा. निखिल ने बताया कि फोर्टिस अस्पताल, कांगड़ा में हिमकेयर के तहत भी उपचार सुविधा उपलब्ध है।
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