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देवासुर संग्राम की परंपरा को जीवंत करता कांगड़ा का घृत पर्व

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  • कांगड़ा के मां ब्रजेश्वरी देवी मंदिर में घृत पर्व का शुभारंभ
  • 25 क्विंटल मक्खन का लेप मां की प्रतिमा पर लगाया गया
  • प्राचीन परंपरा का निर्वहन, माखन को चर्म रोगों के लिए असरकारक माना जाता है

धर्मशाला: जिला कांगड़ा स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां ब्रजेश्वरी देवी मंदिर में घृत पर्व का शुभारंभ हो गया है। इस आयोजन के तहत मंदिर के पुजारियों ने भक्तों द्वारा लाए गए 30 क्विंटल घी से तैयार 25 क्विंटल मक्खन को मां की प्रतिमा पर लेप किया। यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है और शास्त्रों के अनुसार देवताओं द्वारा शुरू की गई मानी जाती है।

मान्यता है कि देवासुर संग्राम के दौरान मां भगवती को हुए घावों को ठीक करने के लिए देवताओं ने माखन का लेप किया था। इसके बाद से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। हर वर्ष भक्तजन श्रद्धा से मां की प्रतिमा पर मक्खन चढ़ाते हैं। इस बार भी 25 क्विंटल मक्खन तैयार किया गया और रातभर मां की प्रतिमा पर इसका लेप किया गया।

इस मक्खन को एक सप्ताह तक प्रतिमा पर रखा जाएगा और फिर इसे निकालकर श्रद्धालुओं में बांटा जाएगा। मान्यता है कि यह माखन चर्म रोगों के उपचार में अत्यंत प्रभावी होता है। घृत पर्व के दौरान भक्त बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचते हैं और अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।