एनपीएस बंद करने और पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की एकमात्र मांग को लेकर आज देशभर के कर्मचारियों ने दिल्ली के ऐतिहासिक स्थल जन्तर-मन्तर पर विरोध प्रदर्शन किया। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम एसोसिएशन के तत्वावधान में पांच दिवसीय विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। विरोध प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने एक सुर में कहा कि सरकार उनके साथ धोखा कर रही है। लेकिन वह किसी भी सूरत में झुकने को तैयार नहीं हैं।
इस विरोध प्रदर्शन में भारत के समस्त राज्यों के कर्मचारियों और अधिकारियों सम्मिलित हुए। ये विरोध प्रदर्शन सिर्फ न्यू पेंशन स्कीम के विरोध में हुआ। न्यू पेंशन स्कीम कोई पेंशन नहीं है। पुरानी पेंशन के मुकाबले। न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारियों के साथ विश्वासघात है पेंशन स्कीम के नाम पर। हम सिर्फ समानता का अधिकार का चाहते हैं कि सभी भारतीय कर्मचारियों को पुरानी पेंशन मिले।
राजिन्र्द स्वदेशी (राज्य मुख्य सलाहकार) एनपीएस कर्मचारी एसोसिएशन हिमाचल प्रदेश बाताया कि इसी संदर्भ में पूरे भारतवर्ष में अनेकों रैलियां, प्रदर्शन, हड़तालें हुई और सरकार के नुमाइंदों को न्यू पेंशन स्कीम के विरोध पत्र दिए गए और 30 अप्रैल 2018 को रामलीला मैदान दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर पर एक रैली भी हुई लेकिन केंद्र सरकार गहरी नींद में सोई रही।
उसके बाद 28 अक्टूबर 2018 को भारत के समस्त सांसदों के घर भूख हड़ताल की गई लेकिन फिर भी केंद्र सरकार की तरह से कोई प्रतिक्रिया इस मुद्दे पर नहीं दी गई अर्थात शीतनिंद्रा में ही सोई रही। फिर 26 नवंबर 2018 को संसद घेराव हुआ है। उसमें भी भारत के लगभग 22 राज्यों के कर्मचारी और अधिकारियों ने भाग लिया लेकिन कोई भी सरकारी प्रतिक्रिया पुरानी पेंशन बहाली की मांग मांग पर नहीं आई। इसी कारणवश नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम एसोसिएशन को जन्तर-मन्तर पर पांच दिवसीय विरोध प्रदर्शन का आयोजन करना पड़ा कि केंद्र सरकार रिटायर कर्मचारियों के बुढ़ापे को मध्य नजर रखते हुए पुरानी पेंशन को पुनः बहाल करे ताकि रिटायर कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान हो सके और अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में भी सक्षम बन सके।
29 जनवरी, 30 जनवरी, 31 जनवरी और 1 फरवरी को जन्तर-मन्तर के ऐतिहासिक स्थल पर ही न्यू पेंशन स्कीम का प्रदर्शनकारियों ने विरोध किया। 1 फरवरी शाम को विरोध के अन्तिम समय में प्रदर्शनकारियों ने संसद मार्च करना उचित समझा क्योंकि इतने दिनों के विरोध प्रदर्शन के बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई औपचारिक न्योता नहीं आया। जब प्रदर्शनकारियों ने ऐतिहासिक स्थल जन्तर-मन्तर से दमखम के साथ संसद मार्च शुरू किया तो प्रशासन ने उन्हें रोक दिया। औपचारिक वार्ता के बाद पुरानी पेंशन बहाली पर कोई सकारात्मक नतीजा सामने नहीं आया। पांच दिवसीय न्यू पेंशन स्कीम विरोध प्रदर्शन शान्तिपूर्ण रहा। प्रोफेसर अनिल स्वदेशी (उपाध्यक्ष) एनएमओपीएस दिल्ली ने कहा कि भारत के समस्त न्यू पेंशन स्कीम धारकों की सिर्फ एक ही मांग है पुरानी पेंशन की बहाली।
न्यू पेंशन स्कीम का पूर्ण विरोध अर्थात इसमें बदलाव हमें स्वीकार नहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने भी पुरानी पेंशन को कर्मचारियों का अधिकार माना है अर्थात पुरानी पेंशन कोई भीख नहीं है। ये कर्मचारियों का संवैधानिक अधिकार है। केन्द्र सरकार रिटायर कर्मचारियों के बुढ़ापे को मध्य नजर रखते हुए हुए पुरानी पेंशन स्कीम को पुनः बहाल करे। ताकि रिटायर कर्मचारियों का बुढ़ापा सुरक्षित रहे।