प्रदेश में शिक्षा विभाग के ये हाल हैं कि अग़र बच्चों को स्कूल में पढ़ाई के लिए 2 कमरें बनवाने पड़ते हैं तो सरकारों की सरकारें बदल जाती हैं, लेकिन ये कमरे नहीं बनते। कभी पैसे का आभाव तो कभी सुविधाओं की कमी… फिर हमारी ये सरकार कहती है कि सरकारी स्कूलों की ओर बच्चों का रूझान बढ़ाना है। क्या ऐसे बढ़ेगा सरकारी स्कूलों की ओर बच्चों और उनके अभिभावकों का रूझान…।।।
ताजा मामले में शिमला के GSSS बराड़िया में स्कूल के बच्चे आए दिन बैठने के लिए अपने लिए स्थान ढूंढते रहते हैं। जिस दिन धूप हो तो शिक्षक उन्हें बाहर बिठा लेते हैं, लेकिन बारिश के मौसम औऱ ठंड के मौसम काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ये सारी दिक्कतें सिर्फ स्कूल बिल्डिंग की वज़ह से आ रही हैं, जिसका काम 2012 से लगा पड़ा है।
टीचर यूनियन के प्रधान वीरेंद्र चौहान के मुताबिक, ये बिल्डिंग 2012 से बनना शुरू हुई थी। उसके बाद से बिल्डिंग का ढांचा तो खड़ा हो गया, लेकिन पैसों के आभाव के चलते काम आधा अधूरा छूट गया। संघ ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मांग की है कि इस स्कूल को संपूर्ण करने के लिए जल्द बजट का प्रावधान करें।