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हमीरपुर: कोरोना के चलते फूल व्यवसाय हुआ पूरी तरह तबाह, फूलों के खेती छोड़ने को मजबूर हुए किसान

<p>कोविड माहमारी के चलते हिमाचल प्रदेश में फूल उत्पादन पूरी तरह से तबाह होकर रह गया है। जहां हिमाचल से हर साल सौ करोड का व्यवसाय फूल उत्पादकों को होता था वह पिछले डेढ सालों में शून्य हो गया है जिससे फूल उत्पादकों की चिंता बढ गई है। हिमाचल के तकरीबन हर जिला में करोडों रूपये के फूलों की उत्पादन में जुटे हुए किसान आज पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं तो वहीं, प्रदेश सरकार के द्वारा भी फूल उत्पादकों के बारे में कोई सुध न लिए जाने से अब इन फूल उत्पादकों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है। ऐसा ही एक मामला हमीरपुर जिला के बडसर उपमंडल में सामने आया है। यहां सालों से फूलों का व्यवासय कर रहे पवन कुमार कोरोना माहमारी के दौरान अब व्यवसाय छोडने के लिए मजबूर हो गए हैं और अपना और परिवार का पेट पालने के लिए सब्जी की दुकान पर निर्भर हो गए हैं।</p>

<p>बडसर उपमंडल के तहत फूलों के उत्पादन में नाम कमा चुके पवन कुमार ने साल 2013 में बैंक से तीन करोड रूपये का लोन लेकर फूलों का व्यवासय शुरू किया था और कुछ ही सालों में पूरे प्रदेश में पवन कुमार ने अपना नाम कमा लिया था। लेकिन कोविड माहमारी के चलते अब पवन कुमार की कमर ही टूट गई है और फूलों का व्यवसाय पूरी तरह से तहस नहस हो गया है। यहां तक कि कोविड के दौरान तैयार फूलों की फसल को नष्ट करने के लिए तैयार है क्योंकि पॉली हाउस में फूल सूख चुके हैं। ऐसे में अब पवन कुमार ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मदद की गुहार लगाई है।&nbsp;</p>

<p>पवन कुमार ने बताया कि फरबरी माह में हमीरपुर जिला में बहुत कम कोरोना के केस रह गए थे। इस कारण उन्होंने दोबारा से इस खेती में इन्वेस्टमेंट किया । लेकिन अब दोबारा से लॉकडाउन शुरू हो गया है। फूलों की फसल पूरी तरह से तैयार है लेकिन खरीददार नहीं है। जिस कारण उन्हें इस बार भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि उनके 13 पॉलीहाउसों में 28 लाख रुपये के फूल तैयार हैं। किसान पवन कुमार ने सीएम जयराम ठाकुर से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि प्रदेश के किसानों और बागबानों की इस मुश्किल की घड़ी में उन्हें आर्थिक मदद मुहैया करवाई जाए।</p>

<p>वहीं, इस बारे जब हिमाचल प्रदेश के हॉर्टिकल्चर विभाग के निदेशक जेपी शर्मा से फोन पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि कोविड 19 से पहले समूचे हिमाचल प्रदेश से 100 करोड़ रुपए का टर्न ओबर फूल उत्पादन किया जाता था। लेकिन दो सालों से कोविड के चलते यह टर्न ओबर शून्य पर पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि बीते वर्ष हिमाचल सरकार ने किसानों को मदद देकर राहत पहुंचाई थी। इस बार अभी तक किसानों को किसी भी प्रकार की मदद मुहैया नहीं हो पाई है।</p>

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