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देश में हीलियम गैस से सुसाइड का दूसरा मामला हिमाचल में ! पूर्व सैनिक ने कार में दी जान

घुमारवीं में नौसेना के पूर्व सैनिक ने कार में हीलियम गैस से आत्महत्या
चार पन्नों के सुसाइड नोट में पारिवारिक विवाद और बैंक के काम के दबाव का खुलासा
देश में दूसरा मामला हो सकता है, कुछ दिन पहले हरियाणा के एक CA ने भी इसी तरह दी जान



हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के घुमारवीं के बल्लू क्षेत्र में नौसेना के पूर्व सैनिक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कैशियर विपन ठाकुर (47) की मौत ने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। गुरुवार रात उनका शव उनकी कार में रहस्यमय परिस्थितियों में मिला। उनके मुंह पर हीलियम गैस सिलिंडर से जुड़ा ऑक्सीजन मास्क लगा था, जिस पर पॉलिथीन का लिफाफा और सेलो टेप लिपटा था। कार के अंदर सिलिंडर का रेगुलेटर खुला हुआ था और पाइप मुंह में लगा था। प्रारंभिक जांच में माना जा रहा है कि उन्होंने आसान मौत के लिए हीलियम गैस का इस्तेमाल किया। यह प्रदेश का पहला और देश में दूसरा मामला हो सकता है, क्योंकि कुछ ही दिन पहले हरियाणा के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ने भी इसी तरह आत्महत्या की थी।

मौके से पुलिस को चार पन्नों का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें विपन ने अपनी पत्नी द्वारा बच्चों के साथ बर्ताव, पिता से विवाद, और बैंक के काम के दबाव का जिक्र किया है। नोट में उन्होंने लिखा कि “मैं जा रहा हूं, मेरी परवाह मत करना, मेरी मौत का जिम्मेदार कोई नहीं है।” उन्होंने खुद को ईमानदार बताते हुए कार्यस्थल के तनाव को भी कारणों में शामिल किया।

जानकारी के अनुसार, विपन सुबह ड्यूटी पर गए थे और शाम को पत्नी को फोन कर घर आने की बात कही। देर रात उनका फोन बंद मिला। खोज के दौरान बल्लू में उनकी कार हाईवे किनारे खड़ी पाई गई। दरवाजा खोलते ही अंदर का दृश्य देखकर लोग दंग रह गए।

परिजनों ने मांग की है कि मौत का सच सामने आए और हीलियम गैस सिलिंडर के स्रोत का पता लगाया जाए। स्थानीय लोग भी हैरान हैं कि आर्थिक और पारिवारिक रूप से सक्षम व्यक्ति ने इतना चरम कदम क्यों उठाया। पुलिस ने कार से बरामद सभी सामान फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है और कॉल डिटेल, मोबाइल डेटा, सीसीटीवी फुटेज की गहन जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम एम्स बिलासपुर में फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मौजूदगी में किया जाएगा।

पुलिस इस मामले को आत्महत्या मान रही है, लेकिन हत्या समेत सभी पहलुओं पर जांच जारी है। इस घटना ने प्रदेश में मानसिक स्वास्थ्य और कार्यस्थल के दबाव जैसे मुद्दों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।