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यहां भूत-प्रेत को भगाने के लिए दी जाती हैं अश्लील गालियां

<p>कुल्लू जिला की पलदी घाटी में करथा और वासुकी नाग को समर्पित फागली उत्सव में प्राचीन दैवीय परंपरा का निर्वहन किया गया। अश्लील गालियां देते हुए ढोल नगाड़ों की थाप पर हारियानों ने मडियाहला (मुखौटा) नृत्य किया और पुरानी परंपरा का निर्वाहन किया गया। इस परंपरागत दैवीय रिवायत और प्राचीन नृत्य को देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ी। इस फागली उत्सव में क्षेत्र के विशेष देवताओं से जुडे़ लोगों और कारकूनों बीठ मडियााहली पहन कर परंपरा निभाते हुए अश्लील जुमले सुनाए। आधी रात बीत जाने के बाद उत्सव के दौरान मरोड गांव से 100 फुट लम्बी जलती मशाल ढोल नगाड़ों के साथ थाटीबीड गांव लाई गई।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>दहकते अंगारों पर किया जाता है नृत्य</strong></span></p>

<p>मुखौटाधारियों हारियानों ने इस दौरान दहकते अंगारों पर कूदकर नृत्य किया गया। यह दैवीय नृत्य कई घंटो तक चला परन्तु दहकते अंगारों से किसी को कोई नुकसान नहीं होता देख लोग दंग रह गए। इसके अलावा देवता के गूर कड़कड़ाती सर्दी में ठंडे पानी के कुंड में दिन भर खडे़ रहे और आम लोगों को आशीर्वाद देते रहे। दोपहर बाद थाटीबीड गांव में नरगिस के फूलों से तैयार किए गए विष्णु अवतार बीठ को बांगी नामक खुले स्थान पर नचाया गया।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>मकर संक्रांति से शुरू होता है फागली उत्सव</strong></span></p>

<p>फागली उत्सव की शोभा बढ़ाने के लिए घाटी के पटौला, नरौली, शिकारीबीड, घमीर, मरौड, गांव से दर्जनो देवलू मुखोटे पहन कर देवप्रथा का निर्वाहन करने थाटीबीड पहुंचे थे। यह विशेष फागली उत्सव संक्रांति से शुरू हुआ था। जिसमें वासुकी नाग के कोठी प्रांगण अलाव जला कर सैकडों देवलू रात भर बैठे रहे। इस दौरान साठ मढिय़ाल्ले यानि मुखौटाधारियों ने देवता करथा नाग और बासुकी नाग के समक्ष रामायण और महाभारत काल के युद्ध का वर्णन कर नृत्य किया। देव परंपरा के अनुसार यह उत्सव देवताओं और राक्षकों के रामायण और महाभारत काल के युद्ध के स्वरूप को दोहराता है। खास कर समुंद्र मंथन का जिक्र भी इस उत्सव में होता है।</p>

<p><strong><span style=”color:#c0392b”>अश्लील गालियों से&nbsp;भगाया जाता है बूरी आत्माओं को </span></strong></p>

<p>मान्यता है कि पोष महिने में यहां के देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर होते हैं और क्षेत्रों में भूत-प्रेतों का वास रहता है और इन प्रेत आत्माओं और भूतों को भगाने के लिए देवता करथा नाग और बासुकी नाग तथा इनके सहायक देवता आहिडू महावीर, सिहडू देवता, गुढ़वाला देवता, खोडू, दंईत देवता इस करथा उत्सव में इन राक्षस रूपी मखौटों के साथ नृत्य कर और अश्लील गालियों के जरिए भूत-प्रेतों और बूरी आत्माओं को भगाया जाता है।</p>

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