हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में पानी की किल्लत से लोग जूझ रहे हैं। लोगों को चौथे या पांचवें दिन पानी की आपूर्ति हो रही है. ऐसी ही स्थिति साल 2018 में भी पैदा हुई थी जब पानी की समस्या को लेकर दुनिया भर में शिमला का नाम बदनाम हुआ।
2018 में शिमला के अधिवक्ता विजय अरोड़ा ने प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर लोगों को पानी मुहैया करवाने की मांग उठाई थी। उस वक्त पानी देने का जिम्मा नगर निगम शिमला के पास हुआ करता था। आनन-फानन में सरकार ने पानी की व्यवस्था का जिम्मा निगम से छीन कर शिमला जल प्रबंधन निगम को खड़ा कर उसके हाथों सौंप दिया था. लेकिन 4 साल बाद भी पानी को लेकर स्थिति सुधर नहीं पाई है. एक बार फिर जब शिमला में पानी की किल्लत हुई तो हाईकोर्ट ने शिमला जल प्रबंधन निगम को फटकार लगाकर 22 जून तक जवाब तलब किया है।
हिमाचल उच्च न्यायालय के अधिव्क्ता व याचिकाकर्ता विजय अरोड़ा ने बताया की हाईकोर्ट ने शिमला जल प्रबंधन निगम से पूछा है की लोगों को पानी क्यों नहीं मिल रहा है। जिसका अभी तक शिमला जल प्रबंधन निगम कोर्ट को सही जवाब नहीं दे पाया है। प्रबंधन की तरफ से कोर्ट को बताया गया की शिमला को हर दिन 48 एमएलडी की जरूरत होती है बदले में 32 एमएलडी पानी शिमला को मिल पा रहा है।
ऐसे में कोर्ट ने पूछा कि यदि 24 के बजाय 32 एमएलडी पानी शिमला जल प्रबंधन निगम को मिल रहा है तो फिर तीसरे दिन नियमित सप्लाई क्यों नहीं दी जा रही है। साथ ही कोर्ट ने निगम प्रबंधन से पानी के प्राकृतिक स्रोतों पर कब्जा जमाए बैठे चन्द लोगों से छुड़ाने के आदेश जारी किए हैं। मामले की अगली सुनवाई 22 जून को रखी गई है और निगम प्रबंधन को तथ्यों के साथ कोर्ट में जबाब मांगा है.
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