<p>'हिम विकास समीक्षा' की प्रथम बैठक की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के सभी अधिकारियों को विकासात्मक योजनाओं के प्रभावकारी कार्यान्वयन के प्रति ‘प्रो-एक्टिव’ रवैया अपनाएं। ताकि निर्धारित समय में चल रही परियोजनाओं के कार्यों को पूरा किया जा सके और वांछित लक्ष्यों को भी प्राप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि ‘हिम विकास समीक्षा सेवा ’ राज्य सरकार की ऐसी अभिनव पहल है। जिससे विकासात्मक परियोजनाओं के कार्यों की प्रगति की लगातार समीक्षा की जा सकेगी और इससे विकास कार्यों में तेजी भी आएगी। प्रदेश के 21 विभागों के लिए 103 मुख्य कार्यनिष्पादन संकेतक निर्धारित किए गए हैं, जबकि 26 विभागों के लिए ऐसे चार संकेतक बनाए गए हैं।</p>
<p>सरकारी विभागों के कार्यों की समीक्षा के लिए यह एक ऐसा तंत्र विकसित किया गया है, जिससे अलग-अलग विभागों की समीक्षा करने की बजाय अब सभी विभागों का एक साथ आकलन संभव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए पारंपरिक तरीकों की बजाय अब ऑनलाइन रिपोर्टिंग अपनाई जा रही है, जिससे कार्यों के करने में तेजी आई है और पारदर्शिता भी बढ़ी है। लोक निर्माण विभाग को भी अपने कार्यों की निगरानी रखने के लिए प्रबंधन का ऐसा सूचना तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए, जिसमें विभाग के सभी कार्य ऑनलाइन दर्शाए जा सकें। ऐसी परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाना चाहिए, जिनमें 60 प्रतिशत से अधिक कार्य हो चुके हैं। गुणवत्ता पर किसी भी प्रकार से समझौता नहीं किया जाएगा और कोताही बरतने वाले ठेकेदारों या कर्मचारियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।</p>
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<p>मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सिक्किम राज्य के उपरांत ऐसा दूसरा प्रदेश है, जहां लोगों को घर-द्वार पर स्वच्छ पेयजल की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग को जल जनित रोगों की रोकथाम के लिए विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाना सुनिश्चित बनाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि अधिक से अधिक खेतों तक सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध करवाई जानी चाहिए ताकि किसान परंपरागत फसलों की बजाय नकदी फसलें उगाने के प्रति प्रेरित हो सकें। इससे आगामी तीन वर्षों में किसानों की आय दोगुनी करने में भी सहायता मिलेगी। प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि यह प्रदेश देश का एक प्राकृतिक खेती करने वाला राज्य बन सके।</p>
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प्रदेश में रोजगारोन्मुख शिक्षा प्रदान करने पर भी बल दिया जाना चाहिए ताकि युवाओं को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर मिल सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को और अधिक सक्षम बनाने की दृष्टि से गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। हिमाचल एक छोटा राज्य होने के बावजूद प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है और सरकार इस महत्वपूर्ण क्षेत्र पर राज्य बजट का लगभग 20 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च कर रही है। प्रदेश में 5.34 लाख से भी ज्यादा जरूरतमंद लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान की जा रही है और सरकार के पास सामाजिक सुरक्षा पेंशन का कोई भी मामला लंबित नहीं है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में चल रही अनेक योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से जागरूकता अभियान शुरु करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि कुपोषण और शिशु मातृत्व देखभाल जैसे क्षेत्रों पर विभाग को विशेष ध्यान देना चाहिए।</p>
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