➤ हिमाचल में एमएसपी की गारंटी से किसानों को सीधे आर्थिक लाभ
➤ प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन, मक्का, गेहूं और हल्दी पर उच्चतम समर्थन मूल्य
➤ कृषि उत्पादों पर एमएसपी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा
पराक्रम चंद, शिमला
हिमाचल प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार कृषि और बागवानी है, और राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देकर किसानों को नई आर्थिक मजबूती दी है। राज्य की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खेती से जुड़ी है, जो प्रदेश की आर्थिक रीढ़ है। इस पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार द्वारा शुरू की गई प्राकृतिक खेती आधारित एमएसपी योजना ने जमीनी स्तर पर बदलाव लाना शुरू कर दिया है।
राज्य में प्राकृतिक उत्पादों पर उच्चतम एमएसपी तय किया गया है, जिससे किसान रसायन मुक्त खेती अपनाकर कम लागत में अधिक लाभ कमा रहे हैं। मक्की का एमएसपी ₹40 प्रति किलो, गेहूं का ₹60 और हल्दी का ₹90 प्रति किलो निर्धारित किया गया है। यह देशभर में सर्वोच्च दरों में से एक है, और इससे किसानों को बाजार की अनिश्चितताओं से राहत मिली है।
किसान रूपचंद शर्मा ने बताया कि उन्होंने हल्दी की 1 क्विंटल 5 किलो फसल एमएसपी पर बेचकर अच्छा लाभ कमाया। प्रकाश चंद को मक्की की 4 क्विंटल उपज का ₹12,000 का भुगतान मिला, जबकि तारा कश्यप को 80 किलो मक्की का ₹2400 मूल्य मिला। ये उदाहरण दर्शाते हैं कि कृषि उत्पादों पर एमएसपी की गारंटी ने किसानों को भरोसा और स्थायित्व दिया है।
अब तक राज्य में 48,685 किसानों ने प्राकृतिक खेती के लिए पंजीकरण कराया है, जिनमें महिलाओं की भागीदारी 50% से अधिक है। रबी और खरीफ सीजन 2024-25 में गेहूं, मक्की और हल्दी की खरीद पर कुल 2.63 करोड़ रुपए से अधिक की प्रत्यक्ष लाभ अंतरण राशि वितरित की गई है। राज्य के 22 संग्रह केंद्रों के माध्यम से यह खरीद हुई है, जिससे स्थानीय विपणन व्यवस्था भी सुदृढ़ हुई है।
चंबा की पांगी घाटी में उत्पादित जौ के लिए भी ₹60 प्रति किलो का एमएसपी तय किया गया है, जो इस दुर्गम क्षेत्र के किसानों को लाभ देगा। सरकार का लक्ष्य एक लाख किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का है और इस दिशा में मजबूत कदम उठाए जा चुके हैं।
यह पहल न केवल पर्यावरण अनुकूल खेती को बढ़ावा दे रही है, बल्कि कृषि उत्पादों के लिए सुनिश्चित मूल्य देकर ग्रामीण क्षेत्रों में नए आर्थिक अवसर भी पैदा कर रही है। इससे ग्रामीण पलायन में भी कमी आने की संभावना है। मुख्यमंत्री सुक्खू की यह नीति हिमाचल को हरित और समृद्ध राज्य की दिशा में ले जा रही है।



