हिमाचल

हिमाचल: औद्योगिक निवेश नीति में संशोधन, निवेश और रोजगार के आधार पर बांटी श्रेणियां

प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश औद्योगिर निवेश नीति-2019 में संशोधन किया है। पूंजीगत निवेश करने और हिमाचलियों को रोजगार देने के आधार पर उद्योगों को ए,बी और सी श्रेणी में बांटा गया है। इस बारे में जानकारी देते हुए उद्योग विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि सरकार ने प्रदेश में निवेश को प्रोत्साहन प्रदान करने के उद्देश्य से उद्योगों को रियायतें और सुविधाएं देने के लिए 16 अगस्त, 2019 को हिमाचल प्रदेश औद्योगिक निवेश नीति-2019 अधिसूचित की थी। इसके अन्तर्गत विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की लागत पर 50 प्रतिशत की दर से उपदान, 3 प्रतिशत ब्याज सबवेंशन, प्लांट और मशीनरी के परिवहन के लिए 50 प्रतिशत सहायता, 3.5 प्रतिशत परिवहन उपदान, गुणवत्ता प्रमाणन के लिए 50 प्रतिशत सहायता, एफल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने के लिए 25 प्रतिशत सहायता, एमएसएमई, बड़े और एंकर उद्यमों के लिए कुल राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) की प्रतिपूर्ति के लिए 50-90 प्रतिशत प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है।

प्रवक्ता ने कहा कि विभिन्न उद्योगपतियों और क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा उठाई गई मांग के आधार पर प्रदेश सरकार ने आज प्रदेश औद्योगिक नीति में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इसके अन्तर्गत अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्र में न्यूनतम पूंजीगत निवेश से स्थापित एंकर उद्योगों को प्रथम औद्योगिक उद्यम अथवा औद्योगिक क्षेत्र के बाहर एक जिला के विशिष्ट विकास खण्ड के अन्तर्गत प्रथम औद्योगिक उद्यम के रूप में पुनर्भाषित किया गया है।

उन्होंने कहा कि 200 करोड़ रुपये के निर्धारित पूंजीगत निवेश और कम से कम 200 बोनाफाईड हिमाचलियों को रोजगार प्रदान करने वाले उद्योगों को श्रेणी-ए, 150 करोड़ रुपये के निर्धारित पूंजीगत निवेश और कम से कम 150 बोनाफाईड हिमाचलियों को रोजगार प्रदान करने वाले उद्योगों को श्रेणी-बी, 100 करोड़ रुपये के निर्धारित पूंजीगत निवेश और कम से कम 100 बोनाफाईड हिमाचलियों को रोजगार प्रदान करने वाले उद्योगों को श्रेणी-सी में वर्गीकृत किया गया है।

उन्होंने कहा कि कंसल्टेंट की परिभाषा में कॉस्ट अकाउंटेंट को भी शामिल किया गया है। नीति के तहत प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए समाप्त हो रही अवधि को 31 दिसंबर, 2022 से 31 दिसंबर, 2025 तक बढ़ाया गया है। एसजीएसटी प्रतिपूर्ति का लाभ उठाने के लिए पात्र उद्यम जो राज्य कर एवं आबकारी विभाग द्वारा शुद्ध एसजीएसटी के लंबित मूल्यांकन के कारण दावा नहीं कर सके है, वे 31 दिसंबर, 2022 तक आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि नई अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्रों में दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा व्यक्तिगत अथवा सामूहिक रूप से उद्यम स्थापित करने के उद्देश्य से भूमि/प्लॉट/शेडों का 5 प्रतिशत आरक्षण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा और नए उद्यम जो कुल कार्यबल में बेंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्तियों को 5 प्रतिशत रोजगार प्रदान करते हैं, ऐसे उद्यम प्रतिमाह 1000 रुपये प्रति कर्मचारी अतिरिक्त प्रोत्साहन के लिए 3 साल की अवधि के लिए पात्र होंगे।

प्रवक्ता ने बताया कि नए विकास खंड श्री नैना देवी जी, बाली चौकी, धनोटू, निहरी, चुराग, टूटू, कुपवी, कोटखाई, तिलोरधार को राज्य की श्रेणी-बी में रखा गया है। उन्होंने कहा कि कौशल विकास केंद्र, स्वास्थ्य आधारभूत संरचना, अस्पताल, सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र, सीवेज उपचार संयंत्र, सार्वभौमिक डिजाइन का वितरण, दिव्यांग व्यक्तियों के सामान्य उपयोग के लिए उपभोक्ता उत्पाद और सहायक उपकरण भी सेवा गतिविधियों की निर्दिष्ट श्रेणी की सूची में शामिल हैं।

 

Ashwani Kapoor

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