<p>हिमाचल की जलवायु के बदलाव के कारण सेब उत्पादन में कमी आई है जिसकी वजह से सेब किसानों ने सेब के बजाय सब्जियां और कम ठंड में उगने वाले फ्रूट्स की पैदावार बढ़ा दी है। खासकर जिला शिमला, कुल्लू, मंडी के पर्वतीय किसान धीरे-धीरे दुसरे विकल्पों की तरफ बढ़ रहे हैं। ये किसान अब सेब की पैदावार के साथ सब्जियां और कम ठंड में उगने वाले फ्रूट्स की खेती पर जोर देने लगे हैं।</p>
<p>कुल्लू के सेब किसान अब घाटी में अनार, किवी और सब्जियां जैसे की टमाटर, मटर, फूलगोभी, बंदगोभी और ब्रोक्कली की खेती भी कर रहे हैं। सेब को समुद्रतल से 1500 से 2700 मीटर की ऊंचाई वाले पहाड़ों जहां 1000 से 1600 घंटें बर्फ पड़े, उगाया जाता है लेकिन बदलती जलवायु ने सेब की पैदावार खासा असर डाला है।</p>
<p>बढ़ती गर्म जलवायु के कारण सेब की उगाने वाली जगह भी शिफ्ट हो गई है। अब सेब की अच्छी पैदावार के लिए , जहां पहले सेब उगाया जाता था उससे ऊपर वाली जगह सेब के लिए उपयुक्त है। अब लगभग 2200-2500 मीटर तक ऊंचाई वाली जगह पर सेब की पैदावार के लिए सही जलवायु उपलब्ध है।</p>
<p>प्रोफेसर श्रीवास्तव ने बताया कि इस पर जल्द ध्यान देने के साथ ही लेटेस्ट तकनीक का सहारा लेने की भी जरूरत है। डॉ मनमोहन सिंह (IMD,शिमला ) ने बताया कि हिमाचल में मानसून सीजन का समय तो बढ़ गया है लेकिन सालाना बारिश में गिरावट आई है। पिछले 3 साल में हिमाचल और जम्मू कश्मीर में तापमान में बढ़त रिकार्ड की गई है और बर्फवारी में गिरावट दर्ज की गई है। </p>
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