➤ हिमाचल में सेब सीजन अव्यवस्थित, दाम गिरे और फसल सड़ रही
➤ HPMC की लापरवाही से हजारों टन सेब खुले में खराब हो रहा
हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन इस बार बेहद अव्यवस्थित रहा है। मानसून के खत्म होने के बाद भी बागवानों को राहत नहीं मिल पाई। एक ओर जहां इस बार सेब के दाम बाजार में बुरी तरह गिरे, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में HPMC द्वारा खरीदे गए हजारों टन सेब खुले आसमान के नीचे सड़कों पर सड़ रहे हैं।
प्रदेशभर में अब तक 40 हजार मीट्रिक टन सेब HPMC ने खरीदा है। इनमें से करीब 25 मीट्रिक टन सेब का प्रोसेसिंग HPMC के प्लांट्स में होना था, जबकि बाकी सेब की नीलामी प्रक्रिया के जरिए बिक्री की जानी थी। लेकिन समय पर नीलामी न होने और ट्रांसपोर्टेशन व्यवस्था ठप होने के कारण यह सेब अब खराब हो रहा है। नमी और मौसम की मार ने समस्या को और बढ़ा दिया है।
भाजपा प्रवक्ता चेतन बरागटा ने सरकार और HPMC पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि अगर सेब को समय पर नीलाम या प्रोसेसिंग के लिए नहीं भेजा गया, तो बागवानों को उनकी पेमेंट भी नहीं मिल पाएगी। बरागटा ने यह भी आरोप लगाया कि HPMC अब तक पिछले वर्ष की सेब खरीद की पूरी पेमेंट भी नहीं कर पाया है, ऐसे में इस बार सड़कों पर खराब हो रहा सेब सरकार के लिए बड़ा राजस्व घाटा लेकर आएगा।
उन्होंने कहा कि समय पर HPMC द्वारा खरीद केंद्र न खोलना, नीलामी प्रक्रिया में देरी और परिवहन व्यवस्था की अव्यवस्था ने बागवानों को मजबूर कर दिया कि वे अपना सी-ग्रेड सेब खुली मंडियों में भेजें। यही कारण रहा कि इस साल अच्छी क्वालिटी के सेब को भी सही मूल्य नहीं मिल पाया और बाजार में भावों में भारी गिरावट देखी गई।
चेतन बरागटा का कहना है कि जिन सेबों को सरकार ने 12 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा, उन्हें अब बेहद कम कीमतों पर ऑक्शन में बेचा जा रहा है। इसका सीधा नुकसान न सिर्फ बागवानों को हो रहा है बल्कि सरकार को भी भारी राजस्व हानि उठानी पड़ रही है।



