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51 साल में कितना बदला हिमाचल? सीमित संसाधनों के बावजूद कैसे तय हुई विकास यात्रा?

डेस्क |

आज ही के दिन साल 1971 में हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था. 25 जनवरी 1971 को हिमाचल प्रदेश भारत का 18वां राज्य बना. दरअसल, हिमाचल का गठन 15 अप्रैल 1948 को किया गया था, लेकिन उस समय का हिमाचल बेहद छोटा था. हिमाचल में केवल 4 जिले थे. ज्यादातर पहाड़ी इलाके पंजाब में थे. 1 नवंबर 1956 को हिमाचल को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया था. इसके 10 साल बाद 1 नवंबर 1966 को हिमाचल को वर्तमान भौगोलिक स्वरूप मिला था. इसके पांच साल बाद हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला.

हिमाचल प्रदेश ने विकास यात्रा शून्य से शुरू की और 51 साल में जो विकास किया, वो अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए प्रेरणादायक बन गया. यूं कहा जाए कि पहाड़ों से बहने वाले पानी को राज्य के मेहनती लोगों ने अपने पसीने से सोने में बदल दिया. इसके फलस्वरूप पहाड़ी राज्य सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन द्वारा प्रदेश सर्वांगीण विकास के पथ पर अग्रसर है. सीमित संसाधनों और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद प्रदेश ने सभी क्षेत्रों, विशेष तौर पर कृषि, बागवानी, ग्रामीण विकास, सामाजिक कल्याण, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, पेयजल, उद्योग और पर्यटन में महत्वपूर्ण प्रगति की है.

प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई. 1970-71 में केवल 4693 शिक्षण संस्थान थे, जबकि 2021-22 में यह 15553 हो गए. आज सरकारी और निजी क्षेत्र में कुल 23 विश्वविद्यालय, आइआइटी, आइआइएम, एम्स व ट्रिपल आइटी जैसे उच्चस्तरीय संस्थान हैं. साक्षरता दर 82.80 प्रतिशत है। 2137 स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम के लिए आइसीटी लैब स्थापित की गई हैं। 800 अन्य स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं शुरू करने के लिए स्वीकृति दी गई है.

71 में स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या केवल 587 थी. आज प्रदेश में 4320 स्वास्थ्य संस्थानों का बड़ा नेटवर्क दुर्गम क्षेत्रों तक है. प्रदेश में उपलब्ध बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण लिंग अनुपात, जन्म दर, मृत्यु दर तथा शिशु दर की स्थिति में बहुत सुधार आया है. हिमकेयर योजना से लोगों को कैशलेस उपचार दिया जा रहा है. वर्तमान में 4.63 लाख परिवार इस योजना के तहत पंजीकृत किए गए हैं.

पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है, ताकि राजनीतिक क्षेत्र में उनकी भागीदारी बढ़ सके. सरकारी नौकरियों में महिलाओं को तय आरक्षण तो नहीं है, लेकिन यहां 30 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं. महिला कल्याण पर बल देने की बदौलत प्रदेश को 2018 में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत अपने प्रदर्शन के लिए देश में शीर्ष राज्य घोषित किया गया.

राज्य में नौकरी का एकमात्र साधन सरकारी सेवाएं थी, लेकिन तीन दशक पहले औद्योगिकीकरण की सोच ने जनसंख्या का नियोजन करने का बड़ा रास्ता निकाला है. राज्य को 2003 में औद्योगिक पैकेज के परिणामस्वरूप औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिला. राज्य में 2003-04 से 2012-13 तक 9140 उद्यम स्थापित किए गए. 911 उद्यम जनवरी, 2018 से जून, 2020 तक स्थापित किए गए.

1971 में राज्य के लोगों को बावडिय़ों व जल स्रोतों से पानी लाना पड़ता था. नलों से पीने के पानी की सुविधा नहीं थी. आज लोगों को घर-घर में नल से पानी की सुविधा प्रदान की गई है. 5.89 लाख पेयजल कनेक्शन के लिए 1078 करोड़ खर्च हुए हैं. राज्य की 94.19 प्रतिशत बस्तियों को पेयजल उपलब्ध करवाया गया है. जल जीवन मिशन के तहत 18.51 प्रतिशत की राष्ट्रीय औसत के मुकाबले राज्य में लगभग 60 प्रतिशत घरों में घरेलू कनेक्शन प्रदान किए गए हैं. उपमंडल काजा का टाशीगंग गांव घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल आपूर्ति प्राप्त करने वाला सबसे ऊंचाई वाला गांव बना है.