➤ हिमाचल के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ का युक्तिकरण होगा
➤ सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ असंतुलन दूर करने और नई तकनीक लाने की योजना बनाई
➤ सीएम सुक्खू बोले – “हर मरीज को बेहतर और आधुनिक चिकित्सा सुविधा देना सरकार की प्राथमिकता”
शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने अब स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के युक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक संतुलित और प्रभावी बनाने के लिए यह नई पहल शुरू की जा रही है।
सरकार ने हाल ही में मेडिकल कॉलेज और निदेशक स्वास्थ्य सेवाओं में डॉक्टरों का अलग कैडर और मेडिकल अफसरों के लिए संशोधित पीजी पॉलिसी लागू की थी। अब अगला कदम युक्तिकरण योजना (Rationalization Plan) है, जिसके तहत राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ वितरण का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा।
वर्तमान में कई संस्थानों में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी है, जबकि कुछ जगहों पर आवश्यकता से अधिक तैनाती है। इस असंतुलन के कारण मरीजों को उपचार के लिए आईजीएमसी शिमला या डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा तक जाना पड़ता है।
सीएम सुक्खू का कहना है कि “हर मरीज को अपने जिले में गुणवत्तापूर्ण इलाज मिले” — इसी उद्देश्य से स्वास्थ्य ढांचे में बदलाव किए जा रहे हैं।
सरकार मेडिकल कॉलेजों में पुरानी मशीनों और उपकरणों को बदलकर नई तकनीक की मशीनें स्थापित कर रही है। विशेष रूप से रोबोटिक सर्जरी सिस्टम लागू किए जा रहे हैं, ताकि जटिल ऑपरेशनों में भी मरीजों को अत्याधुनिक सुविधा मिल सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि हिमाचल के किसी भी मरीज को इलाज के लिए प्रदेश से बाहर न जाना पड़े।



