हिमाचल में बारिश नहीं होने से गेंहू की फसल सूखे की चपेट में आने लगी है। खेतों में गेंहू की फसल पीली पड़ने लगी है। बिन बारिश सबसे ज्यादा परेशानी किसानों में देखने को मिल रही है।
किसान जिसकी रोजी रोटी खेती पर निर्भर होती है आज उनके माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई है।
प्रदेश में बारिश नहीं होना वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का एक्टिव न होना माना जा रहा है।
इसके अलावा फूलगोभी, बंदगोभी, फ्रांसबीन, शलगम, मूली, मटर, टमाटर, प्याज और बैंगन आदि सब्जियों पर भी बारिश न होने से संकट मंडरा रहा है। सब्जियां तो सूखना शुरू हो गई हैं।
दिसंबर और जनवरी में खेतों में गेहूं की फसल के साथ सब्जियों को भी बारिश और सिंचाई की बेहद जरूरत रहती है, लेकिन नवंबर के बाद जिले में एक बार भी बारिश नहीं हुई है। इस वजह से गेहूं की फसल को पानी नहीं मिल पा रहा है और फसल खराब होना शुरू हो गई है।
सबसे ज्यादा परेशानी चंगर क्षेत्रों में आ रही है, क्योंकि यहा के लोग खेती के लिए केवल बारिश पर ही निर्भर रहते हैं।
खेतों में नमी न होने के कारण किसान गेहूं की फसल में यूरिया खाद भी नहीं डाल पा रहे हैं, क्योंकि बिना सिंचाई के सूखी भूमि पर खाद असर नहीं करती है।
वही कांगड़ा के कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉक्टर राहुल कटोच का कहना है कि इस समय गेहूं की फसल के लिए बारिश और सिंचाई बेहद जरूरी है। अगर बारिश न होती है को सूखे के कारण फसल खराब होना शुरू हो जाएगी और इसकी पैदावार पर भी इसका खासा असर पड़ेगा।
बारिश न होने के कारण जिले में गेहूं की फसल पर पीला रतुआ रोग का खतरा मंडराने लगा है। समय पर बारिश न होने के कारण फसल पीली पड़ना शुरू हो गई है। साथ ही फसलों की पैदावार पर भी असर पड़ना शुरू हो गया है। फूलगोभी, बंदगोभी, फ्रांसबीन, शलगम, मूली, मटर, टमाटर, प्याज और बैंगन आदि सब्जियों पर भी बारिश न होने से संकट मंडरा रहा है। इन सब्जियों का आकार बढ़ना रुक गई है, वहीं कुछ सब्जियां तो सूखना शुरू हो गई हैं।