राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने वैज्ञानिकों को सलाह दी कि वे संस्थानों से बाहर निकलकर किसानों और बागवानों के बीच जाएं और उन्हें प्राकृतिक कृषि की जानकारी दें। इससे वे इस कृषि पद्धति को पूर्ण रूप से जरूर अपनाएंगे। राज्यपाल ने आज शिमला के निकट क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र मशोबरा का दौरा किया। केंद्र का यह उनका प्रथम दौरा था। उन्होंने आदर्श मॉडल के रूप मे विकसित किए गए इस केंद्र में प्राकृतिक रूप से तैयार किए गए उद्यान का अवलोकन भी किया। वैज्ञानिकों द्वारा तैयार इस कृषि पद्धति के परिणामों को देखकर वह काफी प्रभावित हुए। उन्होंने बागवानी विश्वविद्यालय तथा सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि परियोजना से जुड़े अधिकारियों को उनके इस प्रयास के लिए बधाई दी।
बागवानी विश्वविद्यालय द्वारा क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र में ‘‘प्राकृतिक खेती-सुरक्षित विकल्प’’ विषय पर किसानों और वैज्ञानिक की परिचर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक कृषि कर रहे किसान आज न केवल अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं बल्कि प्रदेश सकल घरेलु उत्पाद भी बढ़ा रहा है। आज प्रदेश की करीब 5000 करोड़ रुपये की आर्थिकी सेब से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि राज्य को देश का विकसित राज्य बनाने के लिए यदि कोई कार्य कर रहा है तो वह हमारे किसान व बागवान भाई हैं। पर्यटन गतिविधियों को छोड़कर इस कारण आज हिमाचल की विशेष पहचान भी बनी है। किन्नौर का सेब आज विदेशों में ऊंचे दामों पर बिक रहा है, जिससे हिमाचल की प्रतिष्ठा बढ़ी है।
किसानों के सुझाव और उनकी प्रतिक्रिया सुनकर श्री शुक्ल इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने बागवानों के खेतों तक जाने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती कर रहे बागवानों की मदद के लिए विश्व बैंक आगे आ रहा है और जापान और अन्य देशों के लोग दौरा कर रहे हैं। उनकी मेहनत का पसीना गुणात्मक उत्पाद के रूप में विदेशों में भी खुशबू दे रहा है। उन्होंने कहा कि आज यह स्थिति बन गई है कि बड़े बागवान स्वरोजगार देने के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि प्राकृतिक कृषि में हिमाचल प्रदेश आने वाले समय में आदर्श राज्य बनकर उभरेगा।
राज्यपाल ने कहा कि इस केंद्र ने बागवानी विकास और शीतोष्ण फल उद्योग की व्यवहारिक समस्याओं तथा बुनियादी आवश्यकताओें की पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विशेष तौर पर सेब उद्योग के लिए यह केंद्र मील का पत्थर साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कई बार प्राकृतिक कृषि को लेकर हिमाचल का जिक्र कर चुके हैं और प्रशंसा भी की है। इसलिए हम सबकी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करें। इस अवसर पर, राज्यपाल तथा लेडी गवर्नर श्रीमती जानकी शुक्ला ने केंद्र के परिसर में पौधारोपण भी किया।
इससे पूर्व, डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने राज्यपाल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसी कृषि पद्धति देश में विकसित की गई है जो किसानों और वैज्ञानिकों के समन्वय से तैयार की गई है। किसानों को केंद्र मे रखकर प्राकृतिक कृषि पद्धति को कार्यान्वित किया गया है और इसे किसानों पर बल पूर्वक थोपा नहीं गया है। किसान व बागवान इसे स्वैच्छा से अपना रहे हैं और इस की सफलता उनपर ही निर्भर करती है। इस अवसर पर, सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि के परियोजना निदेशक श्री नरेश ठाकुर ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए कहा कि इस परियोजना के अन्तर्गत हर पंचायत में प्राकृतिक कृषि के मॉडल फार्म विकसित किए जाएंगे और 100 ऐसे गांवों चयनित किए जाएंगे जहां हर किसान व बागवान प्राकृतिक कृषि को अपनाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा दे रही है और इसके लिए बजट में प्रावधान किया गया है।
निदेशक अनुसंधान डॉ संजीव चौहान ने केंद्र की विभिन्न गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। इससे पूर्व, वैज्ञानिक डॉ. ऊषा शर्मा ने सेब में प्राकृतिक खेती पर अपनी प्रस्तुति दी। क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, मशोबरा के सह-निदेशक डॉ दिनेश ठाकुर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर, प्राकृतिक कृषि से जुड़े प्रगतिशील किसानों व बागवानों ने परिचर्चा में भाग लिया और अपने अनुभव सांझा किए।
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