हिमाचल में मॉनसून की बरसात भले ही सामान्य से 12 फ़ीसदी कम रही हो लेकिन इस बार मॉनसून ने खूब कहर ढाया है। हिमाचल प्रदेश में 13 जून से लेकर 21 सिंतबर तक मॉनसून की बरसात ने 411 लोगों की जिंदगियों को लील लिया है। जबकि 13 लोग अभी भी लापता हैं। मॉनसून के दौरान सबसे ज़्यादा 205 मौत एक्सीडेंट में हुई जबकि 54 मौत भूस्खलन की चपेट में आने से हुई हैं। इसके अलावा अन्य मौते बाढ़, सांप के काटने, गिरने, डूबने या फ़िर आग में जलने से हुई हैं। मॉनसून में 689 पशु पक्षियों की मौत भी हुई। बरसात के मौसम में हिमाचल को 1070 करोड़ संपत्ति का नुकसान हुआ है।
सबसे ज़्यादा नुकसान पीडब्ल्यूडी विभाग को 63828.8 का नुकसान, उसके बाद जल शक्ति विभाग को 30815.6 का नुकसान, ऊर्जा क्षेत्र में 470.2 का नुकसान, कृषि क्षेत्र को 4565.44 का नुकसान और बाग़वानी क्षेत्र को 2,887.57 का नुकसान हुआ है। 1000 से ज़्यादा मकान बरसात की चपेट में आकर पूरी तरह तबाह हो गए या उनको नुकसान पहुंचा। अभी भी भूस्खलन और खराब मौसम की वजह होने वाली दुर्घटनाएं जारी है।
राजस्व विभाग के प्रधान सचिव ओंकार शर्मा का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से हिमाचल में एक साथ कई जगह जमकर मेघ बरस गए। नतीजा बहुत ज़्यादा नुकसान हुआ। इस बार माइनस 12 फीसदी कम बरसात हुई है। जिसको सामान्य ही समझा जाएगा। पिछली मर्तबा मानसून की बरसात 26 फ़ीसदी कम रिकॉर्ड की गई थी और नुकसान भी कम हुआ था।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि अभी तक मॉनसून खत्म नहीं हुआ है। जैसे ही मॉनसून की बरसात खत्म हो जाएगी। केन्द्र से टीम हिमाचल में बरसात में हुए नुकसान का आंकलन करेगी। इससे पहले जिला के डीसी भी अपने अपने जिले में हुए नुकसान का आंकलन करेंगे। पूरा आंकलन कर केंद्र से मदद मांगी जाएगी क्योंकि मानसून से इस बार काफ़ी नुकसान हुआ है।