➤ आदेश न मानने पर हिमाचल हाईकोर्ट ने PWD सचिव पर 25 हजार जुर्माना लगाया
➤ अनुकंपा आधार पर नियुक्ति न देने पर कोर्ट का कड़ा रुख
➤ कॉस्ट की रकम CJ आपदा राहत कोष 2025 में जमा करने के निर्देश
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बार फिर अफसरशाही की सुस्ती और अदालती आदेशों की अवहेलना पर कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने लोक निर्माण विभाग (PWD) सचिव पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई अदालत के उस आदेश की बार-बार अनदेखी करने पर हुई, जिसमें प्रार्थी राकेश कुमार को अनुकंपा आधार पर नियुक्ति देने का निर्देश दिया गया था।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की अदालत में हुई। कोर्ट ने कहा कि बार-बार समय देने के बावजूद आदेशों का पालन न करना अधिकारियों के उदासीन रवैये को दर्शाता है। हालांकि, एडवोकेट जनरल के अनुरोध पर अदालत ने 2 सप्ताह का अतिरिक्त समय अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के लिए दिया है, लेकिन साथ ही साफ कर दिया कि यदि यह जुर्माना अगली सुनवाई तक जमा नहीं किया गया तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।
अदालत ने आदेश दिया कि यह जुर्माना राशि मुख्य न्यायाधीश (CJ) आपदा राहत कोष 2025 में जमा करवाई जाए। इस खाते का नंबर 18330110060070 और IFSC कोड UCBA0001833 है। वर्तमान में विभाग की जिम्मेदारी डॉ. अभिषेक जैन संभाल रहे हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस खाते में कोई भी नागरिक या संस्था ऐच्छिक राहत राशि जमा कर सकती है।
यह पहला मामला नहीं है जब हाईकोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाई हो। कुछ समय पहले शिक्षा सचिव, उच्च शिक्षा निदेशक, उपनिदेशक मंडी और टिकरी सदवानी स्कूल के प्रिंसिपल पर भी कोर्ट ने सख्ती दिखाई थी। मामला एक मेडिकल रीइंबर्समेंट का था, जिसमें याचिकाकर्ता देव शर्मा ने 2016 में 1,52,677 रुपए के बिल जमा करवाए थे, लेकिन आदेशों के बावजूद भुगतान नहीं किया गया। 2022 में रिटायर होने के बाद भी उन्हें पैसा नहीं मिला। इससे आहत होकर उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट ने अफसरशाही की इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए उनके खिलाफ सख्त आदेश पारित किए।
हाईकोर्ट के लगातार ऐसे कड़े रुख से साफ संकेत मिल रहे हैं कि अब अधिकारियों की लापरवाही और आदेशों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।



