हिमाचल

फोर्टिस कांगड़ा में IVL तकनीक से हार्ट अटैक का सफल ईलाज, ओपन हार्ट सर्जरी से मिला छुटकारा

फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा के कार्डियोलाॅजिस्ट डाॅ. अतीत ग्वालकर ने प्रदेश में पहला इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी प्रोसीजर किया, जिसमें 45 वर्षीय पुरुष रोगी का भारी कैल्शियम से भरी कोरोनरी धमनी की ब्लाॅकेज का इलाज किया गया.

हृदय रोगी जब फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में आया, तो उसे सीने में गंभीर दर्द था. जांच के बाद विशेषज्ञों ने हृदय की तीनों वाहिकाओं के ब्लोकेज का खुलासा करते हुए कोरोनरी एंजियोग्राफी करवाई. इससे पहले मरीज को धमनियों में ब्लॉकेज और भारी कैल्शियम से भरी ब्लॉकेज को देखते हुए कोरोनरी आर्टरी बाईपास की सलाह दी गई थी.

हालांकि मरीज और उसका परिवार ओपन हार्ट सर्जरी नहीं कराना चाहते थे, लेकिन फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा की कार्डिलाॅजी टीम ने कैल्शियम को तोड़ने के लिए विशेष उपकरणों के साथ एंजियोप्लास्टी की. डॉ अतीत ने कहा कि हार्ट के मरीजों में कैल्सीफाइड कोरोनरी ब्लोकेज होना बहुत आम है. पहले डॉक्टरों के पास मरीज को ओपन हार्ट सर्जरी के लिए भेजने के अलावा ज्यादा विकल्प नहीं होता था.

हालांकि इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के क्षेत्र में हालिया प्रगति के साथ हमारे पास ऐसे उपकरण हैं जो कैल्शियम से प्रभावी ढंग से निपटने में हमारी मदद कर सकते हैं. इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी जैसी प्रक्रियाएं जीवन रक्षक हो सकती हैं और रोगी को ओपन हार्ट सर्जरी से बचा सकती हैं. इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी (आईवीएल) अल्ट्रासोनिक तरंगों के निर्माण के माध्यम से काम करती है जो कोरोनरी धमनियों की दीवारों में सख्त कैल्शियम को तोड़ती है और स्टेंट के विस्तार के लिए पर्याप्त जगह प्रदान करती है. कार्डियोलॉजिस्ट की टीम के सदस्य डॉ सैयद ने कहा कि रोटा-एब्लेशन और आईवीएल का उपयोग करके कैल्शियम का पर्याप्त संशोधन उत्कृष्ट दीर्घकालिक परिणाम प्रदान करता है.

फोर्टिस कांगड़ा के डायरेक्टर अमन सोलोमन ने कहा कि फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में हम हमेशा उन्नत चिकित्सा तकनीक के साथ देखभाल के नए मानक स्थापित कर रहे हैं, जो हमारे डॉक्टरों को चुनौतीपूर्ण प्रक्रियाओं को सुरक्षित और सफलतापूर्वक करने में मदद प्रदान करते हैं. क्षेत्र में एंजियोप्लास्टी के लिए इंट्रावास्कुलर लिथोट्रिप्सी का यह पहला प्रयोग है. यह उपलब्धि हमारे अस्पताल में हमारे पास मौजूद उत्कृष्टता का प्रमाण है. रोगी अब प्रक्रिया के चार सप्ताह के बाद अपनी नियमित दैनिक गतिविधियों को करने में सक्षम है.

Balkrishan Singh

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