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हिमाचल मार्केटिंग बोर्ड पर भ्रष्टाचार के आरोप, पराला-खड़ा पत्थर सीए स्टोर के टेंडर रद्द

मार्केटिंग बोर्ड पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद पराला और खड़ा-पत्थर सीए स्टोर के टेंडर रद्द
75 करोड़ की परियोजना मात्र 3.36 करोड़ रुपए में दी गई थी लीज पर
अब नए सिरे से पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी


हिमाचल प्रदेश में मार्केटिंग बोर्ड पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। पराला सीए (कंट्रोल्ड एट्मोसफेयर) स्टोर और खड़ा-पत्थर कलेक्शन सेंटर के टेंडर रद्द कर दिए गए हैं। करीब 75 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुए इन दोनों प्रोजेक्ट्स को सिर्फ 3.36 करोड़ रुपए वार्षिक किराए पर पंजाब की एक फर्म को 10 साल की लीज पर देने का मामला सामने आया था।

इस टेंडर पर सवाल तब उठे जब विधानसभा के मानसून सत्र में BJP विधायक रणधीर शर्मा ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए। प्रारंभिक जांच में टेंडर प्रक्रिया में कई गड़बड़ियां सामने आईं, जिसके बाद बोर्ड ने पुराने टेंडर रद्द कर नए सिरे से निविदाएं जारी करने का निर्णय लिया है।

टेंडर प्रक्रिया में दो फर्मों ने हिस्सा लिया था, जिसमें अरमान इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड (पंजाब) को टेंडर मिला था। हालांकि आरोप लगने के बाद बोर्ड ने कंपनी को स्टोर का कब्जा और अलॉटमेंट एग्रीमेंट नहीं दिया।

पूर्व चेयरमैन नरेश शर्मा ने आरोप लगाया कि 75 करोड़ के सरकारी सीए स्टोर को सिर्फ 3.36 करोड़ रुपए के किराए पर देना बागवानों की मेहनत की खुली लूट है। उन्होंने मांग की कि दोबारा पारदर्शी प्रक्रिया के साथ टेंडर किए जाएं और कम से कम 50% चैंबर बागवानों के लिए रिजर्व रखे जाएं।

इस पूरे विवाद के चलते सेब बागवानों को अब एक और सीजन इंतजार करना पड़ेगा। वे इस बार अपने सेब को इन आधुनिक कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं में नहीं रख पाएंगे। यदि यह टेंडर गड़बड़ी में न उलझता तो इस सीजन बागवानों को बड़ा आर्थिक फायदा मिल सकता था।

मार्केटिंग बोर्ड के एमडी हेमिस नेगी ने बताया कि पुराने टेंडर रद्द कर दिए गए हैं और जल्द नई निविदाएं जारी की जाएंगी ताकि अगले सीजन से बागवानों को लाभ मिल सके।

पराला में बने 5600 मीट्रिक टन क्षमता के सीए स्टोर में 10 टन प्रति घंटे की ग्रेडिंग लाइन और खड़ा-पत्थर में आधुनिक कलेक्शन सेंटर शामिल है। इन सुविधाओं का उद्देश्य सेब बेल्ट के बागवानों को उनकी फसल को सुरक्षित रखने और बेहतर दाम पर बेचने की सुविधा देना है।