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मिनी स्विट्ज़रलैंड से कम नहीं हैं ‘शांघड़’ की दिलकश वादियों के नजारे

समाचार फर्स्ट डेस्क |

हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लू की सैंज घाटी के शांघड़ को प्रकृति ने दिल खोलकर सौन्दर्य प्रदान किया है। विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भी इस क्षेत्र को अलग पहचान प्रदान करता है । यहां करीब 128 बीघा जमीन पर फैला विशाल मैदान चारों ओर देवदार के वृक्षों से घिरा हुआ है जो यहां की सुन्दरता को मनमोहक बनाता है । गर्मियों के मौसम में हरियाली और सर्दियों के मौसम में सफेद चादर ओढ़े इस मैदान की सुन्दरता सैलानियों को यहीं बसने के लिए प्रेरित करती है। यहांपर देवता शंगचुल का भव्य मंदिर भी है जो पहाड़ी वास्तुशिल्प का बेजोड़ नमूना है। इस विशाल भूखंड को मदाना के नाम से भी जाना जाता है। यह क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य, कला संस्कृति, पुरातन परम्पराओं और प्राकृतिक संसाधनों का भी खजाना है।

यहां का चप्पा-चप्पा बेमिसाल है कल-कल करते झरने, देवदार के वृक्षों की आगोश में बसे छोटे छोटे गांव, मदाना से लपाह तक के नजारे जो कदम-कदम बदलते परिदृश्य सहज ही दर्शनीय एवं लुभावने लगते है। यहां के इस विशाल मैदान में कहीं पर भी कोई कंकड़, पत्थर, कूड़ा-कचरा और चट्टान आदि दिखाई नहीं देते है।इस लिए यहां पर मैदान की ढलानों में खेलना कूदना,दौड़ना भागना और घूमना फिरना एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है। इस मैदान में स्थानीय लोगों के पशु घास चरते है जिस कारण यहां पूरे मैदान में घास की लंबाई लगभग एक समान रहती है। इस मैदान के अन्दर शराब पीना, टेंट लगाना और गन्दगी फैलाना निषेध है।

हिमाचल प्रदेश कुल्लु जिला के उप-मण्डल बंजार में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भारत के बहुत ही खूबसूरत नेशनल पार्कों मे से एक है। साल- 2014 मे यूनेस्को द्वारा इस ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को विश्व धरोहर की सूचि मे शामिल किया गया है। इस पार्क का क्षेत्रफल 754.4 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जो अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य और जैविक विविधिता का खज़ाना है। शांघड़ भी ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के इको जॉन क्षेत्र के तहत आता है।

यहां पर सैलानियों को घूमने फिरन के लिए कई मनोरम स्थल और ट्रैकिंग रूट्स उपलब्ध है। इस क्षेत्र के इको जॉन और कोर जॉन में 1 दिन से लेकर 15 दिन तक घूमने फिरने और ट्रैकिंग कैंपिंग का आनन्द लिया जा सकता है। यहां पर सैलानी मदाना ,वरसंघड़ झरना, सर्रा झील, पुंडरीक झील, गझाऊ थाच, थिनी थाच, लपाह, शकत्ती मरौर जैसे खूबसूरत स्थलों पर आसानी से पैदल सफर कर सकते है। यहां पर ठहरने के लिए वन विभाग का विश्राम गृह और कई निजी होमस्टे और कॉटेज भी उपलब्ध है। यहां तक दिल्ली, चंडीगढ़, शिमला, कुल्लू मनाली, बंजार व तीर्थन घाटी की ओर से छोटे बड़े वाहनों द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

शांघड़ जैसे खुबसूरत पर्यटन स्थल पर हर वर्ष सैलानियो की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है और देसी विदेशी पर्यटक यहां आकर हसीन दिलकश  शान्त वादियों में कुछ पल बिता कर यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का भरपूर लुत्फ ले रहे है लेकिन कुछ सुविधाओं के अभाव में सैलानियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यहां के लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सडक योजना के तहत बस योग्य सड़क का निर्माण किया गया है परन्तु कच्ची सड़क होने के कारण यहाँ तक वाहन पहुंचाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसके इलावा यहाँ पर अभी तक सार्वजनिक शौचालय,  शुद्ध पेयजल और कुड़ेदान जैसी सुविधा का भी अभाव है।
शांघड़ पहाड़ के शिखर पर बसा हुआ एक ऐसा खुबसूरत पड़ाव है जिसकी कीमत, महत्व और नजारा यहां कदम धरने पर ही महसुस किया जा सकता है सिर्फ जरूरत है इस अनमोल धरोहर को संजोए रखने की।