➤ जयराम ठाकुर ने सरकार पर चुनाव टालने की साजिश का आरोप लगाया
➤ कहा, सरकार और अफसरों के विरोधाभासी बयान बढ़ा रहे हैं भ्रम
➤ आपदा राहत कार्यों की लचर स्थिति पर भी साधा निशाना
शिमला। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि पंचायतीराज चुनावों को टालने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार, अधिकारी और जिम्मेदार लोगों के विरोधाभासी बयान यह साबित करते हैं कि प्रदेश सरकार पूरी तरह कंफ्यूज है। यदि चुनाव समय पर कराने हैं तो जिला उपायुक्तों से चिट्ठी लिखवाने की जरूरत क्यों पड़ी कि जब तक हालात सुधर नहीं जाते, चुनाव संभव नहीं हैं?
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने यह चिट्ठी चुनाव टालने का आधार बनाने के लिए लिखवाई, लेकिन यह लीक हो गई, जिससे सारा खेल सामने आ गया। अब सरकार बचाव की मुद्रा में आ गई है और जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि “यह सरकार झूठ और असमंजस के सहारे चल रही है। यहां सीएम कुछ कहते हैं, मंत्री कुछ और, मुख्य सचिव और डीसी कुछ और। ऐसी स्थिति में प्रदेश का प्रशासनिक तंत्र दिशाहीन हो गया है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि आपदा राहत कार्यों में सरकार की असफलता उजागर हो चुकी है। आपदा के महीनों बाद भी न सड़कें बहाल हुईं, न पुनर्वास कार्य पूरे हुए, न ही प्रभावितों को राहत मिली। उन्होंने कहा कि “सरकार की नीति और नीयत दोनों पर सवाल हैं। यदि हालात इतने खराब हैं कि चुनाव नहीं हो सकते, तो यह मान लेना चाहिए कि सरकार ने आपदा के बाद कुछ नहीं किया।”
जयराम ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दी गई आर्थिक सहायता का उपयोग भी प्रभावितों की मदद में नहीं हो रहा, बल्कि सरकार उसे अपने खर्च और करीबी ठेकेदारों पर खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि “बेघर लोगों के सामने अब सर्दियों की भीषण ठंड का संकट है, मगर सरकार ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है।”
उन्होंने कहा कि यदि सरकार को चुनाव समय पर ही करवाने हैं, तो अभी भी ढाई महीने का समय है। फिर डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट का हवाला देकर चुनाव टालने की कोशिश क्यों? उन्होंने कहा कि यह वही सरकार है जिसने पहले नगर निगम चुनाव भी अध्यादेश और बिल लाकर टाल दिए थे।
जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले 10 गारंटियां दी थीं, लेकिन आज एक भी वादा पूरा नहीं हुआ। फ्री बिजली-पानी, महिलाओं को ₹1500, किसानों को सेब के अच्छे दाम, नौकरियों और स्टार्टअप फंड जैसे वादे महज “दिवा स्वप्न” साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की कार्यशैली से जनता का विश्वास टूट चुका है, क्योंकि यह सरकार “आदतन झूठ बोलने वाली सरकार” बन चुकी है।



