Follow Us:

17 दिसंबर से पहले JCC गठन की मांग, नहीं तो सचिवालय घेराव


➤ सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप, वार्ता का आश्वासन अधूरा
➤ पूछा– आर्थिक संकट है तो मंडी रैली किसलिए?


हिमाचल पेंशनर्स संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले जुड़े 18 पेंशनर संगठन अब सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। शीतकालीन सत्र के दौरान भी समिति ने रैली व प्रदर्शन कर मांगें उठाई थीं, लेकिन कोई ठोस कदम न उठने से रोष और बढ़ गया है।

कांगड़ा में हुई रोष रैली के बाद प्रतिनिधियों ने बताया कि सरकार दबाव में आई थी और मुख्यमंत्री ने वार्ता का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक बैठक के लिए नहीं बुलाया गया है। समिति ने साफ चेतावनी दी कि यदि 17 दिसंबर से पहले वार्ता नहीं होती, तो सचिवालय के बाहर उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा।

शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान समिति के अध्यक्ष सुरेश ठाकुर ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी मांग जेसीसी गठन है, लेकिन सरकार बार-बार आग्रह के बावजूद कोई सकारात्मक निर्णय नहीं ले रही है।

उन्होंने पेंशनरों के दूसरे गुट को भी कटघरे में खड़ा किया और कहा कि कुछ लोग पेंशनरों को गुमराह कर रहे हैं, जबकि अदालत के स्टे ऑर्डर के कारण वे किसी भी वेलफेयर गतिविधि के अधिकृत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जिस तथाकथित ‘जॉइंट फ्रंट’ का हवाला दिया जा रहा है, वह न पंजीकृत है, न मान्यता प्राप्त, और इसमें वही लोग शामिल हैं जिन्हें वेलफेयर एसोसिएशन से बाहर किया गया था।

सुरेश ठाकुर ने कहा कि समिति के साथ दो लाख से अधिक पेंशनर जुड़े हैं, इसलिए सरकार को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि पेंशनरों के धैर्य की परीक्षा न ली जाए।

उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार वित्तीय संकट का हवाला देती है, तो डिज़ास्टर एक्ट में मंडी रैली कैसे आयोजित की जा रही है। यह विरोधाभास पेंशनरों में गहरी नाराज़गी का कारण बना हुआ है।

समिति ने दोहराया कि यदि 17 दिसंबर से पहले JCC का गठन नहीं किया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा और इसके बाद पेंशनर सचिवालय के बाहर बड़ा व उग्र प्रदर्शन करेंगे।