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केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश की मनरेगा ग्रांट रोकी
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चार महीनों से मजदूरी और तीन महीनों से वेतन अटका
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प्रदेश सरकार लगातार केंद्र से ग्रांट बहाली की मांग कर रही
Himachal MGNREGA grant crisis: हिमाचल प्रदेश में मनरेगा योजना का कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया है क्योंकि केंद्र सरकार ने प्रदेश की 461.56 करोड़ रुपये की मनरेगा ग्रांट रोक दी है। इस कारण 26 दिसंबर 2024 के बाद से मजदूरों को दिहाड़ी का भुगतान नहीं हो पाया है और तीन महीनों से मनरेगा कर्मियों के वेतन भी अटके हुए हैं।
प्रदेश सरकार के अनुसार, लेबर मद में करीब 250 करोड़, निर्माण सामग्री मद में 200 करोड़ और एडमिन मद में 11 करोड़ की राशि लंबित पड़ी है। इसके चलते निर्माण सामग्री की खरीदारी भी रुक गई है और मनरेगा कर्मचारियों के सामने पारिवारिक खर्च चलाने का संकट खड़ा हो गया है।
ग्राम रोजगार सेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवराज ठाकुर और शिमला जिला अध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि प्रदेश के 1031 ग्राम रोजगार सहायक, 400 तकनीकी सहायक, 100 कंप्यूटर ऑपरेटर और 24 कनिष्ठ लेखपाल पिछले तीन माह से बिना वेतन के काम कर रहे हैं।
पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में हिमाचल प्रदेश ने मनरेगा के तहत 1534 करोड़ के कार्य पूरे किए और 395 लाख कार्य दिवस अर्जित किए, जो लक्ष्य से 136% अधिक है। बावजूद इसके, अब तक 31 मार्च 2025 तक की मजदूरी का भी भुगतान नहीं हो सका है।
7.16 लाख हाउसहोल्ड और 10.26 लाख लोग मनरेगा से जुड़े हैं। हर साल औसतन 350 लाख कार्य दिवस बनते रहे हैं, लेकिन 2025-26 के लिए केंद्र ने कार्य दिवस घटाकर 250 लाख कर दिए हैं, जबकि प्रदेश सरकार ने 417 लाख कार्य दिवस का प्रस्ताव भेजा था।
ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा है कि प्रदेश सरकार लगातार केंद्र से ग्रांट बहाली की मांग कर रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।