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कांग्रेस के बागी नेताओं को SC से नहीं मिली राहत, मई के दूसरे हफ्ते में सुनवाई

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राज्यसभा चुनाव के बाद कांग्रेस से बगावत करने वाले छह विधायकों की सदस्यता रद्द करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फिलहाल इन बागी नेताओं को राहत देने से इनकार कर दिया. मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की डबल बेंच ने की.

सुप्रीम कोर्ट का विधानसभा सचिवालय को नोटिस

मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और सत्यपाल जैन कोर्ट के सामने पेश हुए. वहीं, दूसरे पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की. सुप्रीम कोर्ट ने बागी नेताओं की ओर से दायर की गई पिटीशन पर विधानसभा सचिवालय को भी नोटिस भेजा है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से वादी पक्ष की ओर से दायर मुख्य याचिका और स्पीकर के सदस्यता रद्द करने वाले फैसले को स्टे करने वाली मांग पर नोटिस जारी किया है.

मामले में दोनों पक्षों को सुनना जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि उनके लिए दोनों पक्षों को सुनना जरूरी है. मामले में अगली सुनवाई 6 मई से शुरू होने वाले दूसरे हफ्ते में की जानी है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में काउंटर एफिडेविट चार हफ्तों में दायर करने के लिए कहा है. सर्वोच्च न्यायालय ने प्रत्युत्तर होने की स्थिति में एक हफ्ते में इसे भी दायर करने के लिए कहा है.

सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान वकीलों ने क्या कहा?

मामले में सुनवाई के दौरान वादी पक्ष की ओर से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की ओर से 15 फरवरी को व्हिप जारी किया गया, लेकिन इन विधायकों को यह रिसीव नहीं हुआ. फरवरी 27 को हुए राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई और इसमें कांग्रेस उम्मीदवार की हार हो गई. साल्वे ने आगे कहा कि फरवरी 27 को एक नोटिस जारी हुआ, जिसमें कमेटी के सामने उपस्थित रहने के लिए कहा गया. यह नोटिस सदस्यता रद्द करने के मामले से जुड़ा हुआ था.

सिंघवी ने बहस के दौरान क्या कहा?

इस मामले में कांग्रेस विधायक दल के हर्षवर्धन चौहान ने पिटीशन दायर की थी. साल्वे ने कहा कि उन्हें इस तरह का कोई नोटिस ही नहीं मिला. इस पर प्रतिवादी पक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि चुनाव की घोषणा होते ही अनुच्छेद 359 प्रभावित हो गया है. ऐसे में चुनाव को रोकने और सदस्यता रद्द करने के फैसले को स्टे करने का कोई सवाल पैदा नहीं होता.

7 मई को होनी है चुनाव की अधिसूचना

वादी पक्ष की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सत्यपाल जैन ने यह भी कहा हिमाचल में लोकसभा चुनाव के साथ ही उपचुनाव के लिए भी अधिसूचना 7 मई को जारी हो जाएगी. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि अगर हम नोटिस जारी करते हैं, तो चुनाव आयोग इसे आगे बढ़ा सकता है. यह सामान्य तौर पर होता ही है.

तत्काल राहत देने से इनकार

बागी विधायकों की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए डबल बेंच ने तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया. साथ ही सदस्यता रद्द करने के फैसले पर रोक लगाने के मामले में भी स्टे लगाने से इनकार कर दिया. इसके अलावा वादी पक्ष चाहता था कि वह विधानसभा में होने वाली किसी भी वोटिंग में उन्हें वोट डालने के भागीदार बन सके, लेकिन इससे भी सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया.