<p>आए दिन प्रदेश के तमाम अस्पतालों में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के चलते मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, सरकार ने डॉक्टरों और स्टॉफ्स के पद भरने की मंजूरी कैबिनेट में दे दी है, लेकिन अभी तक इसकी ना ही रिक्र्यूटमेंट हुई और ना ही पद भरे गए।</p>
<p>इसी कड़ी में कांगड़ा के टांडा मेडिकल कॉलेज में स्टाफ की कमी के चलते एक नन्ही जान की जिंदगी दांव पर लग गई। बाद में शहर के युवाओं द्वारा चलाई गई एक संस्था कांगड़ा सेवियर्स और स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार की मदद से उस नन्ही जान को सांसें मिल पाईं।</p>
<p>दरअसल, कुछ दिन पहले टांडा अस्पताल में एक निवजात शिशु के ब्लड प्लेटलैट्स सिर्फ 10 हजार रह गए और शाम के समय डॉक्टर ने तुरंत फ्रेश ब्लड की जरूरत बताई। ऐसे में टांडा कॉलेज में ब्लड बैंक में ना कोई डॉक्टर और ना ही टैक्नीशियन उपलब्ध था। जब इस मामले का कांगड़ा सेवियर्स संस्था को पता चला तो उन्होंने ब्लड डोनर का इंतजाम करते ही प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार को स्तिथि से अवगत करवाया। स्थिति जानने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने तुरंत सुपरिटैंडेंट टांडा को इस पर कार्रवाई के आदेश दिए।</p>
<p>मंत्री के आदेश के बाद टांडा अस्पताल में स्टाफ ने तेजी दिखाना शुरू की और संस्था द्वारा बच्चे के लिए 2 यूनिट ब्लड उपलब्ध करवाया गया, जिससे बच्चे की जान बच पाई। बताया जा रहा है कि यदि इस मामले में थोड़ी भी देर होती तो कुछ का कुछ-और हो सकता था। लेकिन, यदि प्रदेश के युवाओं और नेताओं की सोच उनके सामाजिक कामों के प्रति सही रहे तो किसी भी हालातों में मदद दी जा सकती है।</p>
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