<p>हिमाचल प्रदेश सरकार एक ओर प्रदेश से बाहर फंसे हिमाचलियों से वहीं रहने की अपील कर रही है। वहीं अपने चेहतो या कहें छुटपुट कामों के लिए अधिकारियों और नेताओं को बाहरी राज्यों से अपने बच्चों को लाने की अनुमति दे रही है। पहले जहां केंद्र सरकार में सांसद रामस्वरूप हिमाचल में आए थे वहीं अब एसपी किन्नौर अपने बेटे और बेटी को दिल्ली से रिकांगपिओ ले आए हैं। कोई पूछे तो पहले भी यही जवाब मिला था कि सभी से अनुमति और औपचारिकताएं पूरी की हैं और अब एसपी साहिब भी यही बात दोहरा रहे हैं…</p>
<p>दरअसल, कर्फ्यू लॉकडाउन के बीच किन्नौर के एसपी एसआर राणा अपने बेटे बेटी को दिल्ली से रिकांगपियो लाए हैं। उनका तर्क़ है कि उनके चचेरे भाई का निधन हो गया था जिसके चलते उनके बच्चों को घर लाना पड़ा। इस पर किन्नौर के मौजूदा विधायक ने सवाल उठाए तो एसपी राणा कहते हैं कि उन्होंने सभी आदेशों को पालन किया है। प्रदेश और केंद्र सरकार से अनुमति लेने के बाद ही वे उन्हें लेकर आए हैं। बच्चों ने खुद को घर पर क्वारंटीन किया है और स्वास्थ्य विभाग के परामर्शों का पालन किया जा रहा है। इसके लिए बकायदा कर्फ्यू पास भी बनाया गया है।</p>
<p>ऐसे में वक़्त में हम और आपको सरकार का सहयोग करना चाहिए…इस बात में कोई दो राय नहीं… लेकिन अग़र सरकार ऐसा करेगी तो कैसे चलेगा। मुख्य सवाल ये है कि प्रदेश के मुखिया और देश के प्रधानमंत्री जहां हैं वहीं रहने की बात कहते हैं। हिमाचल में विपक्ष पूरी तरह से बाहरी राज्यों में फंसे हिमाचलियों को लाने की बात कहता है लेकिन सरकार के मुखिया कहते हैं कि हमारा सहयोग करें और कुछ दिन वहीं रहें। ये सुनकर बाहर राज्यों में फंसे युवा भी सहयोग करते हैं लेकिन अग़र किसी अधिकारी या नेता को ऐसे बाहर राज्यों से लाने की अनुमति मिलती है तो उनका मनोबल भी टूटता है।</p>
<p>ये लोग भी अपने घर जाना चाहत हैं… लेकिन इनकी ग़लती सिर्फ ये हैं कि ये वोट दे सकते हैं और अपने नेता की बात मान सकते हैं। लेकिन अग़र नेता अपने ख़ास लोगों और अधिकारियों को अपने बच्चे बाहर से लाने की अनुमति देगा तो इन लोगों को भी अपने नेता पर थोड़ा विश्वास तो उठेगा। ऐसे ही कुछ सवाल हैं जो बाहर राज्यों में फंसे युवाओं और यहां रह रहे उनके परिवार वालों में आ रहे हैं। सरकार से सवाल ये है कि क्या अग़र आम जनता सारी फॉरमेलिटिज़ पूरी करके अपने बच्चों को लेने जाते हैं तो क्या उन्हें अनुमति मिलेगी…?? अग़र हां तो सरकार को उन्हें लाने में क्या दिक्कत हैं..?? और अग़र नहीं… तो नेता और अधिकारियों को अनुमति क्यों मिल रही है…??</p>
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