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वर्ल्ड समर गेम्स़ में 2 रजक पदक विजेता पलक सरकार की अनदेखी की शिकार

बीरबल शर्मा |

2015 में अमेरिका यूएसए में आयोजित वर्ल्ड समर गेम्ज में 2 रजत पदक विजेता रही मंडी जिला के सरकाघाट की बेटी पलक आखिरकार सरकार की अनदेखी की शिकार हो गई। वर्ल्ड समर गेम्ज में दो रजत पदक जीतने के बाद तत्कालीन सरकार ने पलक को नगद ईनाम राशि देने का भरोसा दिलाया था। वर्तमान सरकार को भी 5 साल पूरे होने को हैं मगर परिजन इस नकद ईनाम राशि को पाने के लिए सरकार और अधिकारियों की चौखटों से खाली हाथ वापस आने को मजबूर हो गए हैं।

विजेता खिलाड़ी के पिता भीम सिंह भारद्वाज ने इस बारे डीसी मंडी अरिंदम चौधरी को एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी पलक भारद्वाज बचपन से ही दिव्यांग है। इसके बावजूद उनकी बेटी ने 25 जुलाई 2015 से 2 अगस्त 2015 तक आयोजित स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्ज जो यूएसए के लॉस एंजेलेस में आयोजित हुई थी, जिसमें पलक ने रोलर स्केटिंग में भाग लेकर दो रजत पदक जीतकर हिमाचल के साथ-साथ पूरे देश का नाम रोशन किया था। दिव्यांग पलक भारद्वाज मौजूदा समय में प्रेम आश्रम ऊना में अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं।

उन्होंने बताया कि 15 अक्तूबर 2015 को राज्य भवन शिमला में तत्कालीन राज्यपाल ने दिव्यांग बच्चों को स्मृति चिन्ह सहित नकद ईनाम देने का भरोसा दिया था। मगर परिजन अधिकारियों, मंत्रियों सहित सीएमओ ऑफिस तक इस नकद ईनाम राशि को पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इससे साफ होता है कि सरकार रजत पदक विजेता को नकार दिया। 8 अप्रेल 2017 में एक खेल आयोजन में बच्चों को नकद ईनाम राशि दी गई मगर वह बेहद ही कम थी, जिसे लेने से उन्होंने इंकार कर दिया था। इस पर मौजूदा मंत्री ने उन्हें भरोसा दिया गया कि इस राशि को बढ़ाकर दिया जाएगा। मगर वह राशि आज दिन तक उन्हें नहीं मिल पाई है।

उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार आये दिन ऐसे कई खिलाड़िय़ों को लाखों रूपए प्रोत्साहन राशि दे रही है। मगर एक रजत पदक विजेता की सरकार अनदेखी कर रही है। हरियाणा, यूपी सहित अन्य सरकारें ऐसे विजेताओं को लाखों की राशि प्रोत्साहन के रूप में दे रही है। मौजूदा समय में ओलंपिक गेम्ज में खिलाड़िय़ों को करोड़ों की राशि दे रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार और खेल विभाग, डीसी मंडी से यह मांग की है कि रजत विजेता पलक भारद्वाज को ईनाम राशि शीघ्र वर्ल्ड समर गेम्ज के तहत जारी की जाए ताकि ऐसे बच्चों में खेलों के प्रति जज्बा बना रहे।