➤ हिमाचल में बारिश-भूस्खलन से दो और मौतें, कई जिलों में अलर्ट
➤ सैकड़ों सड़कें, पेयजल और बिजली योजनाएं प्रभावित
➤ मानसून में अब तक 224 लोगों की जान, अरबों का नुकसान
हिमाचल प्रदेश में मौसम का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन के चलते दो और और लोगों की मौत हो गई। बिलासपुर में कनफारा के पास पहाड़ी से पत्थर गिरने से श्री नयनादेवी जी में माथा टेककर लौट रहे बठिंडा के कुलविंदर सिंह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक अन्य व्यक्ति घायल हो गया। इसी बीच, किन्नौर कैलाश यात्रा के दौरान कोलकाता के श्रद्धालु सूरज दास की भी मौत हो गई।
पौंग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण कांगड़ा के मंड क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। पंजाब से सटे कई गांवों में पानी घुस गया और प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर 16 लोगों को सुरक्षित निकाला। मौसम विभाग ने अगले चार दिनों तक प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
बारिश-भूस्खलन से 334 सड़कें बंद हैं, जिनमें एक राष्ट्रीय राजमार्ग भी शामिल है। 91 बिजली ट्रांसफार्मर और 479 पेयजल योजनाएं ठप हो गई हैं। नालागढ़ के पास पहाड़ी से मलबा आने से कृत्रिम झील बन गई है, जिसे देखते हुए एक मकान खाली कराया गया है। कुल्लू के सैंज क्षेत्र में काला छौ पहाड़ी से लगातार पत्थर गिरने से भूपन गांव खतरे में है।
मानसून सीजन में 20 जून से अब तक 224 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 316 लोग घायल हुए हैं। 36 लोग लापता हैं। भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से 2,351 मकानों-दुकानों को नुकसान पहुंचा है और 1,611 पालतू पशुओं की मौत हुई है। अब तक का कुल नुकसान लगभग 1,989 करोड़ रुपये आंका गया है।
पांवटा-शिलाई-गुम्मा नेशनल हाईवे पर भी भूस्खलन के कारण यातायात बाधित हुआ। हेवणा के पास चलते वाहनों पर पत्थर गिरने से एक सरकारी गाड़ी और एक टिपर क्षतिग्रस्त हो गया। हालांकि, गनीमत रही कि कोई जानमाल का बड़ा नुकसान नहीं हुआ।



