<p>दुनिया भर में कोरोना महामारी का साया छाया हुआ है। देश में भी इसके मामलों की गिनती लगातार बढ़ रही है। वहीं प्रदेश में भी कोरोना दस्तक दे चुका है। यदि प्रदेश की बात की जाए तो पहाड़ी प्रदेश में एक जाति के लोग ऐसे भी है जो कि घरों की बजाए बाहर जीवन यापन अधिक करते है। सर्दियों के मौसम में इस प्रजाति का बाहर का आगमन अधिक होता है। हम बात कर रहे हैं घुमन्तु भेड़ पालकों की…जो कि सर्दियों के दौरान निचले क्षेत्रो में भेड़ो बकरियों के साथ होते है।</p>
<p>लॉक डाउन के चलते इस प्रजाति के लोगों को काफी परेशानियों को सामना करना पड़ा। सरकार ने इसके बाद फैसला लिया कि भेड़ पलकों को छूट दी गई। लेकिन अभी भी कुछ परेशानियों से इस प्रजाति के लोगों को जूझना पड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश गुमन्तु पशुपालक सभा सचिव पवना कुमारी ने कहा कि तमाम प्रशासन का धन्यवाद करती हूं कि इस महामारी के दौरान हमे पलायन कि छूट दी गई है ।</p>
<p>उन्होंने कहा कि इस महामारी के दौरान हमे नुकसान भी हुआ है जिसमे हमारे लोग अपनी भेड़ो बकरियों को मीट मार्किट में नहीं बेच पाए। गुजर समुदाय के लोग अपना दूध नहीं बेच पा रहे है। वर्तमान समय मे भेड़ बकरियां धौलाधार पर्वत चढ़ने से पहले उनके उन्न की कतराई हो जाती थी लेकिन इस बार उन कतराई का काम न हो पाया है। वही टीकाकरण और डम्पिंग भी नहीं हो पाई है। इस बारे में प्रशसन को अवगत करवाया गया है।सरकार दोबारा जो मदद की गई है उसका भी धन्यवाद करते हैं और बाकी समस्याओं का समाधान हो जाये इसकी भी उम्मीद करते हैं।</p>
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