नगर निगम शिमला के वार्डों की संख्या 34 से बढ़ाकर 41 कर दी गई है। शिमला का पुर्न सीमांकन कर 7 नए वार्ड बनाएं गए है। नगर निगम शिमला में लगातार वार्डों की संख्या को बढ़ाने के पीछे केंद्र से मिलने वाले योजनाओं के लाभ का लालच भी है। यही वजह है कि जेएनयूएआरएम के बाद शिमला में वार्ड बढ़ने लगे। उसके बाद शिमला अमृत मिशन और स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया।
नगर निगम शिमला के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत करोड़ों ख़र्च किया जा चुका है। यदि उस पैसे को अन्य जगह ख़र्च किया जाता तो एक आलीशान शहर खड़ा हो सकता था। लेकिन ये करोड़ों रुपए शिमला के ढंगों पर खर्च हुआ, एक टाइल को तोड़कर दूसरे पत्थर लगाने पर बर्बाद किया जा रहा है।
वार्डों में हर साल रास्ते सड़कें पक्के किये जाते है। पार्षद ठीकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए एक ही काम को बार-बार करवा रहे हैं। शिमला के लोगों को स्मार्ट सिटी बनने से क्या मिला। बिजली पानी महंगे हुए, कूड़ा बिल लगातार बढ़ रहे है, फ़िर चाहे कूड़े वाला कूड़ा उठाए या नहीं आपको हर माह ऑनलाइन पैसे देने पडेंगे। पार्किंग की समस्या जस की तस बनी हुई है। जहां पार्किन बनी भी वहां भारी भरकम फीस चुकाकर आपको अनसेफ जगह पार्किंग के लिए मिल रही है। जाम दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। ऐसे में शहर के लिए क्या प्लानिंग हुई कोई नहीं जानता। 10 साल बाद शहर कैसे होगा कोई नहीं जानता?
अब एक बार फ़िर शिमला नगर निगम के वार्डों की संख्या 34 से 41 कर दी गई है। बड़ा फेरबदल रुलदूभट्टा, कृष्णा नगर, खलीणी, छोटा शिमला व विकासनगर वार्ड में हुआ है। इन पांच वार्डों के दो- दो वार्ड बनाए हैं। वहीं संजौली, इंजनघर के साथ डिंगूघार नया वार्ड जोड़ा गया है। इसी तरह कुसुम्पटी, पंथाघाटी के दो की बजाय तीन वार्ड बनाए हैं। यहां पर कुसुम्पटी-टू (2) नया वार्ड है।
1. रूल्दूभट्टा वार्ड के रूलदूभट्टा व अपर कैथू वार्ड बनाएं गए है
2. कृष्णानगर को तोड़कर अपर व लोअर कृष्णानगर बनाए गए हैं।
3. खलीणी को तोड़कर अप्पर व लोअर खलीणी के दो वार्ड गए बनाए हैं।
4. छोटा शिमला में भी छोटा शिमला व ब्रोकहास्ट वार्ड बनाए गए हैं।
5. संजौली , इंजनघर के अलावा डिंगूधार को नया वार्ड बनाया गया है।
6. कुसुम्पटी -पंथाघाटी के कुसुम्पटी-2 नाम से तीसरा वार्ड बनाया गया है।
7. जबकि विकासनगर के अप्पर व लोअर दो वार्ड बनाए गए हैं।
यहां ये जानना ज़रूरी है कि शिमला नगर निगम में पहली बार 1968 में 10 वार्डों के लिए चुनाव करवाए गए थे। 1986 में नगर निगम के 21 वार्डों के लिए चुनाव हुए थे। साल 1997 में नगर निगम के वार्डों की संख्या को 21 से बढ़ाकर 25 किया गया था। इसके बाद 20 साल के बाद 2017 में फिर से नगर निगम के वार्डों की संख्या को 25 से बढ़ाकर 34 किया गया। अब ये वार्ड 41 होंगे। मई जून में होने वाले नगर निगम चुनाव 41 वार्ड पर होंगे। नगर निगम की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार नगर निगम परिधि में कुल 1 लाख 42 हजार 555 लोग रहते हैं। शहर में 35 साल में ही नगर निगम के वार्डो की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
साल 2011 की जनगणना के अनुसार आबादी के लिहाज से विकासनगर शहर का सबसे बड़ा वार्ड है जहां जनसंख्या 9200 थी। इसके बाद खलीनी में 8400 जबकि कृष्णानगर की जनसंख्या 7100 थी। दस साल में खलीनी और विकासनगर वार्ड की संख्या काफी बढ़ी है। यानी की इन क्षेत्रों का शहरीकरण हुआ आबादी बड़ी इसलिए अब वार्ड भी बढ़ाए जा रहे है। वार्ड बढ़ाने से समस्याएं कम होगी या बढ़ेंगी ये जल्द सामने आएगा?