पहाड़ों की रानी राजधानी शिमला का इतिहास गोरखाओं से लेकर वृतानिया हकूमत से जुड़ा हुआ है. अंग्रेजों ने पहाड़ों की रानी शिमला को अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था. उस वक्त इस शहर को 25000 लोगों के लिए बसाया गया था. उसी हिसाब से यहां सुविधाओं की व्यवस्था की गई थी. लेकिन आज राजधानी शिमला की जनसंख्या तीन लाख के करीब है. इसके अलावा पर्यटक सीजन में यह संख्या दुगनी भी हो जाती है.
जनता की का बोझ ढोते -ढोते पहाड़ों की रानी शिमला थक चुकी है. राजधानी शिमला के लिए केंद्र ने कई योजनाएं दी. फिर चाहे जेएनयुआरएम हो, अमृत मिशन हो, या फिर स्मार्ट सिटी, शिमला के हिस्से इन योजनाओं का करोड़ों रुपया आया. लेकिन विज़न व दूर दृष्टि की कमी के चलते स्मार्ट सिटी पर बदनुमा दाग ही लगे.जो भी पैसा शिमला के लिए आया वह लोहा लगाने, पत्थरों को उखाड़ कर टाइल लगाने, टाइल उखाड़ कर संगमरमर लगाने में ही खर्च किया जाता रहा है.
अब तो स्मार्ट सिटी बनाने के लिए आया पैसा शिमला को आयरन सिटी के रूप में बदलने पर लगाया जा रहा है. सड़कों के किनारे भारी-भरकम लोहा लगाया जा रहा है. फुटब्रिज लोहे के बनाए जा रहे हैं. पार्किंग भी लोहे के ऊपर ही बना दी गई है. दुकानें तक लोहे पर खड़ी कर दी गई हैं. कुछ वर्षों पहले शिमला में लकड़ी के फुटपाथ हुआ करते थे. उनको भी लोहे में तब्दील कर दिया गया है और लोहा भी भारी भरकम लगाया जा रहा है. इसीलिए हम कह रहे हैं कि स्मार्ट सिटी का पैसा शिमला को आयरन सिटी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
वैसे भी शिमला की खूबसूरती यहां का प्राकृतिक सौंदर्य है. यहां के गगनचुंबी देवदार के पेड़, ऊंची नीची ढलानधार पहाड़ियां, पल-पल बदलता शिमला का मौसम, यहाँ के धार्मिक स्थल पहाड़ों की रानी शिमला की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं. इसी खूबसूरती को देखने के लिए देश विदेश के पर्यटक शिमला की ओर खींचे चले आते हैं.