कहते है कि मन में कुछ करने का जुनून हो तो कायनात भी उसे पूरा करने का साथ देती है।
ऐसा ही जुनून हिमाचल की तीन बेटियों में देखने को मिला है। जिन्होंने हर मुश्किल को पार कर लेफ्टिनेंट बनकर अपनी कामयाबी का परचम लहराया है। जी हां, तो हम सबसे पहले बात करते है कांगड़ा जिले के उपमंडल बैजनाथ की
यहां के छोटा भंगाल के कोठी कोहड़ की बेटी एकता ठाकुर ने भारतीय सेना में बतौर लैफ्टिनेंट बनकर अपने परिवार का नाम रोशन किया है।
इस होनहार बेटी ने भारतीय सेना में लैफ्टिनेंट बनकर यह साबित कर दिया है
कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पहाड़ की बेटियां हर वो मुकाम हासिल कर सकती हैं,
जो शहरी सुविधा संपन्न शिक्षण संस्थानों में पढ़कर भी नहीं कर पाते हैं।
एकता ठाकुर के पिता संजय कुमार वैल्डिंग का काम करते हैं और माता मंजू देवी गृहिणी हैं।
छोटा बंगाल घाटी में उस समय शिक्षा के क्षेत्र में सुविधाओं का अभाव था। इसलिए वे परिवार सहित बच्चों की बेहतर शिक्षा की खातिर बीड़ पलायन कर गए थे।
एकता ने क्रिसेंट पब्लिक स्कूल बीड़ से 10वीं और भारतीय विद्यापीठ से जमा दो करने के बाद नर्सिंग की पढ़ाई चामुंडा इंस्टीच्यूट ऑफ नर्सिंग से स्नातक की।
इसी वर्ष जनवरी में उनका चयन भारतीय सेना के मैडीकल विंग में बतौर लैफ्टिनेंट हुआ और 16 सितम्बर को महाराष्ट्र के आर्मी अस्पताल पुणे में इस पद पर सेवाएं देंगी।
एकता ठाकुर ने बताया कि जब वह 5वीं कक्षा में पढ़ती थी तो बीड़-बिलिंग में पैराग्लाइडिंग के लिए आए आर्मी के जवानों को देखकर उनके बारे में जानकारी हासिल करनी चाही।
उसी समय एकता ने ठान लिया था कि वह भी बड़ी होकर ऐसी ही वर्दी पहनेगी और देश की रक्षा करेगी।
स्कूली पढ़ाई के दौरान वह अक्सर आर्मी से संबंधित पुस्तकें पढ़ा करती थी।
बचपन में ठानी हुई बात आज हकीकत बन गई और पहाड की बेटी लैफ्टिनेंट बन गई।
इसके अलावा दो होनहार बेटियां हमीरपुर जिले से है
जिनहोंने भारतीय सेना में लैफ्टिनैंट बनकर न केवल अपने गांव और जिला बल्कि पूर प्रदेश का नाम रोशन किया है।
बेटियों की सफलता से जहां परिजन अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं तो वहीं दोनों के क्षेत्रों में भी खुशी की लहर दौड़ गई है।
टौणीदेवी तहसील के ऊहल गांव की रहने वाली शिप्रा ठाकुर का चयन भारतीय सेना में बतौर लैफ्टिनैंट के पद पर हुआ है।
शिप्रा ठाकुर सिक्किम में अपनी सेवाएं देंगी।
शिप्रा ठाकुर के पिता रामनाथ ठाकुर सरकारी स्कूल में अध्यापक हैं जबकि माता निशि किरण ठाकुर गृहिणी हैं।
शिप्रा ठाकुर ने अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद टांडा मेडिकल कॉलेज से जीएनएम का कोर्स किया।
इसके बाद उसने लॉर्ड महावीर कॉलेज ऑफ नर्सिंग से पोस्ट बेसिक कंप्लीट की और एमएससी नर्सिंग बेंगलुरु से पूरी की।
शिप्रा ठाकुर को शुरू से ही सेना में जाने का शौक था,
जिसके लिए उसने निरंतर प्रयास किया और अपनी कड़ी मेहनत के बलबूते ये मुकाम हासिल किया।
शिप्रा ठाकुर को मिलिट्री अस्पताल गंगटोक से ऑफर लैटर भी मिल चुका है और उसे 16 सितम्बर तक ज्वाइन करने को कहा गया है।
शिप्रा ने अपनी इस सफलता का श्रेय माता-पिता के साथ-साथ गुरुजनों को भी दिया है।
वहीं, नादौन के तरेटी गांव की बेटी आकांक्षा शर्मा का चयन भारतीय सैन्य सेवा विशाखापट्टनम में लैफ्टिनैंट के पद पर हुआ है।
आकांक्षा की सफलता पर पिता सुरेश कुमार व माता मंजू को बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया है।
आकांक्षा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजकीय वरिष्ठ स्कूल जलाड़ी से की। आकांक्षा हमेशा से ही राष्ट्र सेवा का सपना देखती थी और उन्होंने इस लक्ष्य को पाने के लिए दिन-रात मेहनत की।
आकांक्षा का चयन उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो भारतीय सेना में सेवा करने का सपना देखते हैं। आकांक्षा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता व गुरुजनों को दिया है।
इन होनहार बेटियों ने बता दिया है कि अगर सच में मन में कोई दृढ़ संकल्प ले लिया जाए तो किसी भी तरह का मुकाम हासिल किया जा सकता है।